उत्तराखण्ड

चुनाव: कैंट के इस दावेदार का कोई तोड़ नहीं

देहरादून। कैंट बोर्ड का चुनाव 30 अप्रैल को है। सभी दावेदारों ने पूरी ताकत झोंक दी है। कुछ दावेदार पार्टी सिंबल के सहारे हैं। उनको लगता है कि पार्टी सिंबल पर ही वह चुनाव जीत पायेंगे। पार्टी सिंबल नहीं मिला तो वह चुनाव नहीं भी लड़ेंगे। इन सब में एक ऐसा दावेदार भी है जो वह सिर्फ और सिर्फ अपने द्वारा क्षेत्र में किए विकास कार्यों के बदौलत चुनावी मैदान में है। पब्लिक का समर्थन भी उसे खूब मिल रहा है।
कैंट बोर्ड देहरादून के वार्ड आठ से सामाजिक कार्यकर्ता अनिल मोटे चुनावी मैदान में हैं। अनिल मोटे ने कहा कि क्षेत्र में जबरदस्त विकास कार्य किया है। हमेशा पब्लिक के बीच रहे हैं। नालों की सफाई, सड़क बनवाने, स्ट्रीट लाइट, पेयजल आदि समस्याओं के लिए जनता के हित में लड़ाई लड़ते रहे हैं। पब्लिक का कोई भी काम हो अपना काम समझकर उसे कराये हैं। इन्हीं वजहों से अनिल मोटे को जनता खूब पसंद कर रही है और अपना समर्थन दे रही है। क्षेत्रवासियों का कहना है कि हमें ऐसा ही नेता चाहिए। जो जरूरत पड़े तो हमारे साथ खड़े मिले। इस वार्ड से अनिल मोटे के खिलाफ भाजपा के एक नेता चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे थे। लेकिन जैसे ही उन्हें पब्लिक फीडबैक मिला चुनाव लड़ने से मना कर दिया। जन केसरी की टीम सभी वार्डों में अपने स्तर पर एक सर्वे कर रही है। सर्वे रिपोर्ट मतदान के बाद जारी किया जाएगा।

कोरोनाकाल में किए कार्यों का मिल रहा है फल

कोरोनाकाल में जब लोग अपने घरों में कैद थे। किसी की कोरोना से मृत्यु हो जाती थी उस समय लोग उसे लावारिश के हालात में छोड़ देते थे। ठीक उसी दौरान अनिल मोटे द्वारा कैंट बोर्ड के कर्मचारियों की मदद से लोगों की मदद की। घर घर जाकर लोगों तक कोरोना किट पहुंचाया। मोहल्ले और गलियों में छिड़काव कराया।श्मशान घाट में पता नहीं कितनी लावारिश शवों का अंतिम संस्कार किया। आज इसी का फल अनिल मोटे को मिल रहा है।

 

 

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