कैंट छेत्र के लोग नहीं जाना चाहते हैं नगर निगम में, बैठक में इन मुद्दों पर हुई चर्चा

देहरादून। जन केसरी
छावनी परिषद छेत्र में रहने वाले ज्यादातर सिविल लोग नगर निगम छेत्र में जाना नहीं चाहते हैं। उनका कहना है कि निगम छेत्र में शामिल करने की वजाय निगम की तर्ज पर यहां भी सुविधाएं मिलनी चाहिए। यह बात गुरुवार को रक्षा मंत्रालय की टीम के समक्ष कैंट बोर्डों के मौजूदा और पूर्व सभासदों एंव सदस्यों ने कही। उन्होंने उच्चाधिकारियों को अपनी समस्याओं से भी अवगत करवाया।
रक्षा मंत्रालय जल्द कैंट के सिविल एरिया को नगर निगम में शामिल कर सकता है। इसके अलावा अन्य विकल्पों पर भी विचार किया जा रहा है। इसी के तहत बीते दिनों कैंट बोर्ड से जमीनों, भवनों, नक्शों आदि का ब्यौरा मांगा गया था। गुरुवार को कैंट क्षेत्र में रह रहे लोगों की राय जानने के लिए रक्षा मंत्रालय की टीम देहरादून पहुंची और यहां बोर्ड के सदस्यों के साथ बैठक आयोजित कर उनकी राय जानी। इस दौरान सदस्यों ने अपनी बात रखते हुए कहा कि कैंट क्षेत्रों में सीवर और पेयजल की समस्या लंबे समय से बनी हुई है। बिना रजिस्ट्री के पानी के कनैक्शन नहीं मिल पा रहे। नक्शे पास होने में काफी समय लग जाता है। पूर्व सभासद मीनू ने कहा कि यहां की जनता कैंट छेत्र में ही रहना चाहती है। सुरक्षा के साथ ही कई सुविधाएं आसानी से मिल जाती है। पूर्व उपाध्यक्ष गुरु प्रसाद तिवारी ने भी इसी बात को दोहराते हुए फंड की मांग की। चुनाव कराने की मांग भी उठी। बैठक में रक्षा मंत्रालय से अतिरिक्त सचिव निवेदिता शुक्ला, संयुक्त सचिव राकेश मित्तल, एडिशनल डायरेक्टर जनरल रक्षा संपदा सोनम योंगडोल, डायरेक्टर सत्यनारायण, अध्यक्ष गढ़ी कैंट बोर्ड अनिरबन दत्ता, सीईओ तनु जैन, नामित सदस्य विनोद पंवार, पूर्व सदस्य कैंट बोर्ड जितेंद्र तनेजा, कमल राज, मीनू छेत्री, मेघा भट्ट, मधु, राजेंद्र कौर सौंधी, गुरु प्रसाद तिवारी, ओमप्रकाश, विष्णु आदि मौजूद रहे।
15 अगस्त को मोदी कर सकते हैं एलान
सूत्र से मिली जानकारी के अनुसार कैंट क्षेत्र के सिविल एरिया को नगर निगम में शामिल किया जाएगा ये लगभग तय हो चुका है। 15 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसकी घोषणा कर सकते हैं। सिविल एरिया को निगम में शामिल करने को लेकर लगातार बैठकें हो रही हैं। इसी क्रम में गुरुवार को भी देहरादून कैंट में बैठक हुई। हालांकि कुछ जनप्रतिनिधियों का कहना है कि ये सिर्फ औपचारिक बैठकें थी। मंत्रालय ने पहले ही तय कर लिया है कि निगम में सिविल एरिया को शामिल करना है। हालांकि कुछ जगहों पर इसका विरोध भी होना तय है। चुनाव नहीं कराना भी यही वजह माना जा रहा है।