दांतों को चमकाने के लिए वैज्ञानिकों ने बनाया नया फॉर्मूला : शोध
चमचमाते सफेद दांत किसी की भी मुस्कराहट में चार चांद लगा देते हैं। मगर आजकल की जीवनशैली ऐसी हो गई है कि दांतों की सफेदी बरकरार रखना मुश्किल हो गया है। दांतों की सफेदी वापस लौटाने के लिए विशेषज्ञों ने नया फॉर्मूला ईजाद करने का दावा किया है। खास बात यह है कि इससे दांतों की सुरक्षा परत को भी कोई नुकसान नहीं होता है।
अमेरिकन केमिकल सोसाइटी में प्रकाशित शोध में दावा किया गया है कि दांतों को सफेद रखने के लिए इस्तेमाल होने वाले हाईड्रोजन परॉक्साइड के खतरनाक प्रभावों से बचाया जा सकता है। इसके लिए शोधकर्ताओं ने टाइटेनियम डाईऑक्साइड का इस्तेमाल किया है और उन्होंने इसे हाईड्रोजन परॉक्साइड से बेहतर बताया है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह केमिकल दांतों की सुरक्षा परत के लिए नुकसानदेह था। गौरतलब है कि इसी केमिकल का इस्तेमाल बालों को ब्लीच करने के लिए भी किया जाता है।
टाइटेनियम डाईऑक्साइड का इस्तेमाल पूरी दुनिया में प्लास्टिक, पेपर, पेंट, गोलियां और टूथपेस्ट में किया जाता है। यह त्वचा के रंग को हल्का करने वाले कुछ मेकअप उत्पाद में भी इस्तेमाल किया जाता है। लंदन के वरिष्ठ डेंटिस्ट ने इस शोध को काफी सकारात्मक बताया है। उन्होंने कहा कि इससे हाईड्रोजन परॉक्साइड के खतरनाक असर को कम करने में मदद मिलेगी। एक प्रयोग के दौरान वैज्ञानिकों ने टाइटेनियम डाईऑक्साइड को प्राकृतिक गोंद पॉलीडोपामाइन के साथ मिलकार उसका दांतों पर इस्तेमाल कर देखा।
इसके चार घंटे बाद इस केमिकल का दांतों पर वैसा ही असर देखने को मिला, जैसा हाईड्रोजन परॉक्साइड के इस्तेमाल से होता है। साथ ही इसके इस्तेमाल से दांतों की सुरक्षा परत को भी कोई नुकसान नहीं पहुंचा। लंदन स्थित विंपोल स्ट्रीट डेंटल में डेंटिस्ट डॉ. रिचर्ड्स मार्क्स का कहना है कि इससे दांतों की सुंदरता बिना किसी खतरे के बरकरार रखी जा सकेगी।
कुछ खाद्य पदार्थ, ड्रिंक और सिगरेट व तंबाकू की वजह से कम उम्र में ही दांतों में पीलापन जमने लगता है। दांतों के पिगमेंट मॉलीक्यूल खाद्य पदार्थों के रंग को सोख लेते हैं, जिससे उनकी सफेदी खत्म हो जाती है। हाईड्रोजन परॉक्साइड बाहरी रंग को हटाता और इस प्रक्रिया को तेज करने के लिए ब्लू लाइट्स का सहारा लिया जाता है। यह दांतों पर केमिकल के असर को कम करने के लिए किया जाता है। हालांकि हाईड्रोजन परॉक्साइड का ज्यादा इस्तेमाल दांतों की परत को खत्म कर देता है। अहम बात यह है कि हड्डियों की तरह दांतों की परत को दोबारा बनाने के लिए जीवित कोशिकाएं नहीं होती हैं।