कहते हैं, मिलना और बिछुड़ जाना एक संयोग है। कुछ चीजें इसमें जरिया बनती हैं। ऐसा ही जरिया बनी मुस्कुराहट। अर्से से बिछुड़े भाई-बहन अपनी मुस्कुराहट की वजह से मिल गए और अब उनके पिता की तलाश की जा रही है। करीब तीन साल पहले सड़कों पर भटकतीं दो बच्चियां और एक बालक अलग-अलग मिले। प्रशासन ने इन्हें अलग-अलग अनाथालयों में रखवा दिया।
इस तरह एक दूसरे से मिले बिछुड़े भाई-बहन
महिला एवं बाल विकास विभाग के सहायक संचालक शालीन शर्मा बालक व बालिका गृहों का निरीक्षण कर रहे थे। इस दौरान उन्हें तीन बच्चों की मुस्कुराहट काफी हद तक एक जैसी लगी। इनमें दो बच्चियां 12 और सात साल की और एक बच्चा आठ साल का था। धीरे-धीरे वह इन पर फोकस होते गए। तीनों बच्चों के फोटो एक साथ रखे तो उन्हें चेहरे की बनावट भी एक जैसी लगी। उनसे बालिका गृह तक आने के बारे में जाना गया तो तीनों ने एक जैसी कहानी ही बताई। जब तीनों का आमना-सामना कराया गया तो उन्होंने एक-दूसरे को न केवल पहचान लिया बल्कि तीनों आपस में लिपटकर रोने लगे। दोनों बहनों को एक साथ बालिका गृह में तो भाई को बालक गृह में रखा गया है। समय-समय पर इन्हें मिलाया जाता है और अधिकारी घुमाने भी ले जाते हैं।