कैंट बोर्ड के नाम पर आखिर कौन डकार गया मेले का पैसा

देहरादून। जन केसरी
प्रेमनगर के दशहरा ग्राउंड में पिछले सात मार्च से गांधी शिल्प बाजार मेला लगा हुआ है। जिसका समापन 16 मार्च को है। इस ग्राउंड का प्रतिदिन का किराया करीब 10-11 हजार रुपये है। ये किराया कैंट बोर्ड वसूलता है। क्योंकि ग्राउंड भी कैंट बोर्ड के अधीन है। नया खुलासा ये हुआ है कि कैंट बोर्ड ने मेला आयोजक से अभीतक एक रुपये भी नहीं लिए हैं। ना ही किसी तरह की कैं ट बोर्ड ने पर्ची काटी है। इधर, मेला आयोजक का कहना है कि उसने इस ग्राउंड के लिए एक लाख रुपये दिए हैं। अब सवाल ये उठता है कि आखिर कैंट बोर्ड के नाम पर ये रुपये किसने लिए हैं। किसके कहने पर मुफ्त में ग्राउंड दिए गए हैं।
इधर, कैंट बोर्ड की सीईओ तनु जैन ने कहा कि दशहरा ग्राउंड मेले लगाने के लिए मुफ्त में दिया गया है इसके बारे में कोई जानकारी नहीं है। इतने दिनों से मेला लगा हुआ है तो पर्ची कटनी चाहिए थी। आयोजक ने कैंट बोर्ड के किस स्टॉफ को पैसे दिए हैं ये मामला संज्ञान में नहीं है। हालांकि कार्यालय अधीक्षक शैलेंद्र शर्मा को हमने रोजाना के हिसाब से जितना किराया बनता है मेला आयोजक से पर्ची काटते हुए वसूलने के निर्देश दिए हैं।
अपने कंगाल दूसरे को कर रहे हैं दान
कैंट बोर्ड के पास विकास कार्य करने के लिए बजट नहीं है। कर्मचारियों को कई बार वेतन भी समय से नहीं मिलता है। पहले वाहनों की एंट्री शुल्क से कुछ राजस्व कैंट बोर्ड के खाते में जरूर आता था। वे भी अब बंद हो गया है। स्कूलों में पिछले तीन माह से कई शिक्षकों को वेतन तक अभी नहीं मिला है। इधर, कैंट बोर्ड मुफ्त में ग्राउंड दे रहा है। सीईओ तनु जैन ने कहा हमारे पास ऐसे ही बजट की कमी है। जबकि हमारे कार्यालय के कुछ स्टॉफ मुफ्त में ग्राउंड दे रहे हैं। जो सरासर गलत है। आवश्यकतानुसार इस मामले की जांच कराई जाएगी।