उत्तराखण्डक्राइम

चार साल तक तड़पती रही मासूम, नहीं कराया इलाज, खुलासा के बाद हड़कंप

देहरादून। जन केसरी
देहरादून के नेहरू कालोनी थाना क्षेत्र केदारपुरम स्थित सरकारी बाल गृह एवं बालिका निकेतन में एक मासूम बच्ची चार साल तक इलाज के लिए तड़पती रही। गिजर के गर्म पानी से केयर टेकरों की लापरवाही से वह जल गई थी। लेकिन सरकारी सिस्टम अमानवीय हदों तक चुप्पी साधे रहा। अवमानीय चूक पर पर्दा डालने को बच्ची के इलाज में लापरवाही की और तत्काल अस्पताल ले जाने की बजाए उसे उसके हाल पर ठीक होने के लिए छोड़ दिया। जिसका नतीजा रहा कि बच्ची एक पैर से निशक्त हो गई। अंत में उसे कई ऑपरेशन से गुजरना पड़ा।
वर्ष 2013 में तीन साल की मासूम गीजर के खौलते पानी से जल गई थी। कर्मचारियों ने बच्ची का उपचार नहीं कराया, महज मरहम पटृटी कर छोड़ दिया। जिसके चलते बच्ची के पैर में इंफेक्शन हो गया। बच्ची जब चलने से बिल्कुल लाचार हो गई तो उसे दून अस्पताल में दिखाया गया। डॉक्टरों ने तत्काल ऑपरेशन की जरूरत बताई, पर कर्मचारियों ने फिर इलाज की बजाय नीम-हकीम से उसकी मरहम पटृटी कराते रहे। दो साल पहले जिला प्रोबेशन अधिकारी मीना बिष्ट ने तैनाती के बाद बच्ची के इलाज के लिए पहल ही। इसके बाद अब जाकर पिछले माह बच्ची का ऑपरेशन कोरोनेशन अस्पताल में हुआ। इतने सालों तक बच्ची तड़पती रही,लेकिन वहां के जिम्मेदारों ने उसका इलाज नहीं कराया। इस मामले का खुलासा होने के बाद सरकार के आदेश पर पुलिस ने एक पूर्व फार्मास्टि सहित सात केयर टेकरों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दिया है। पूर्व फार्मासिस्ट हरिकृश्ष सेमवाल, केयर टेकर रूबिना, मंदा, शांति, दीपा, करण, सुशीला, सरोजनी के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ है।
केयर टेकरों की लापरवाही से दो मासूम की मौत
सरकारी सिस्टम अमानवीय हदों तक इस तरह से चुप्पी साधेगा, इसके बारे में शायद किसी को नहीं पता था। इस गृह में दो मासूमों की मौत भी केयर टेकरों की लापरवाही से पिछले साल हुई। बावजूद इस मामले को दबाकर रखा गया। ताकि यह मामला बाहर न आ सके। यही वजह रही कि 2007 से 2015 के बीच 19 मौते इस गृह में हो चुकी है।

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