देहरादून। जन केसरी
कैंट बोर्ड के नए सीईओ अभिनव सिंह के कार्यालय का चक्कर पर चक्कर लगाकर आखिरकार कैंट अस्पताल के कर्मचारियों ने अपनी हार मान ली है। अब वे एक निजी कंपनी के इशारे पर दुम हिलायेंगे। क्योंकि सीईओ साबह का कहना है कि मैडम तनु जैन द्वारा किए आदेश को वे छेड़छाड़ नहीं करेंगे। इधर, सोशल मीडिया पर पब्लिक व जनप्रतिनिधियों ने कैंट अस्पताल को एक निजी कंपनी को दिए जाने पर विरोध शुरू कर दिया है। लोगों ने टेंडर निरस्त कर इस पूरे प्रकरण की सीबीआई जांच की मांग कर रहे हैं।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार कैंट अस्पताल के कर्मचारियों ने कई दफा सीईओ अभिनव सिंह से मिल चुके हैं। लेकिन बात नहीं बनी। कर्मचारियों का कहना है कि वे नियमित कर्मचारी हैं। किसी निजी कंपनी के अंडर काम नहीं कर सकते हैं। अब कर्मचारियों ने अंदरखाने विरोध भी शुरू कर दिया है। कुछ कर्मचारियों ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि अस्पताल को निजी हाथ में दिए जाने में घपले हुए हैं। सही तरीके से इसकी जांच हुई तो कई लोग नपेंगे। नए सीईओ की चुप्पी पर भी कर्मचारियों ने सवाल खड़े किए।
तो ठगे गए दानकर्ता
कैंट के नए कोविड अस्पताल का निर्माण जनता द्वारा दी गई सहयोग राशि व सामानों से हुआ है। सांसद, मंत्री, विधायक, क्षेत्र के जनप्रतिनिधि, कैंट अस्पताल स्टॉफ, ठेकेदार समेत बाहरी अन्य लोगों ने अस्पताल निर्माण में सहयोग की। ताकि मरीजों का बेहतर उपचार सस्ते दर में मिल सके। दानकर्ता अब अपने आप को ठगा महसूस कर रहे हैं। दानकर्ताओं का कहना है कि कैंट बोर्ड ने उनके साथ धोखा किया है। एक बार दानकर्ताओं से निजी कंपनी को देने से पहले राय अवश्य लेनी चाहिए थी। लेकिन ऐसा नहीं किया गया। आरोप है कि दानकर्ताओं द्वारा दिए गए कई समान भी गायब हो चुके हैं।
33 से ज्यादा लोगों ने किया दान
अस्पताल निर्माण में 33 से ज्यादा लोगों ने दान किया है। उद्घाटन के दौरान इन सभी के नाम अस्पताल के बाहर एक नेम प्लेट पर लगाये जाने थे। नेम प्लेट पर सभी के नाम लिखकर भी मंगाया गया। लेकिन वे नेम प्लेट आजतक नहीं लगाया गया। इसके भी कई कारण हैं। अब नेम प्लेट अस्पताल के एक कमरे में धूल फांक रहा है।
कैंट बोर्ड के पूर्व उपाध्यक्ष ने सोशल मीडिया पर निकाली भड़ास
कैंट बोर्ड के पूर्व उपाध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने सोशल मीडिया पर अपनी भड़ास निकाली। उन्होंने लिखा है कि अब गरीब आदमी को नहीं मिल पाएगा छावनी परिषद के अस्पताल में फ्री इलाज। उन्होंने लंबी चौड़ी लेख लिखी है। जिसपर लोग लगातार प्रतिक्रिया दे रहे हैं। ज्यादातर लोगों ने कमेंट में विष्णु गुप्ता का समर्थन करते हुए मामले की सीबीआई जांच की मांग की।