तीन माह अस्पताल में लड़ी जंग, अब देश के लिए लड़ेंगे कमलेश
देहरादून। महेश्वर सिंह
अल्मोड़ा के शिक्षक के बेटे कमलेश जोशी में देश सेवा का जज्बा कूट-कूटकर भरा है। इसी साल वह तीन महीने तक बीमार रहते हुए अस्पताल में भर्ती रहे। लेकिन उन्होंने बीमारी को मात दी और फिर से अपनी ट्रेनिंग पर लौट आए। अब उन्होंने देश की आन, बान और शान की रक्षा की शपथ ली है। अब वह देश की सीमा पर मोर्चा संभालकर दुश्मनों से लोहा लेंगे। उनकी कहानी युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत है।
चीनाखाल अल्मोड़ा के रहने वाले शिक्षक रमेश चंद जोशी के बेटे हैं कमलेश जोशी। उन्हें बचपन से ही सेना में जाकर देश सेवा का जुनून था। उन्होंने अल्मोड़ा से होली एंजल पब्लिक स्कूल से इंटर किया। इसके बाद दिल्ली यूनिवर्सिटी से बीएससी ऑॅनर्स की पढ़ाई पूरी की। फिर यहां से तैयारी कर सीडीएस टेस्ट पास किया। उसके बाद वह आईएमए देहरादून में प्रशिक्षण के लिए आ गए। लेकिन उनकी तबीयत इसी बीच खराब हो गई और उनका हीमोग्लोबिन काफी कम हो गया। इसके बाद इसी साल मई से छह जुलाई तक कमांड अस्पताल लखनऊ में भर्ती रहना पड़ा। लेकिन उनका जज्बा कम नहीं हुआ और वह बीमारी को मात देकर फिर से अपनी ट्रेनिंग पर वापस लौटे। कमलेश जोशी ने कहा कि एक बार के लिए लगा कि मैं समय पर ट्रेनिंग पूरी नहीं कर पाऊंगा। हालांकि पूरी मेहनत के साथ ट्रेनिंग शुरू की और रिकवर किया। शनिवार को जब उनके कंधों पर सितारे सजे तो मां पुष्पा जोशी व पिता कमलेश जोशी (कार्यालय अधीक्षक, जवाहर नवोदय विद्यालय नैनीताल) की आंखें खुशी से नम थीं। बेटे के सिर पर हाथ रखकर आशीर्वाद दिया। जबकि इंजीनियर बहन रिंकी खुशी से झूम उठी और इस सुनहर पल को कैमरे में कैद करती रही।
तीन साल तक कैडेट्स नहीं निकले बाहर
कोरोना के चलते आईएमए में प्रशिक्षण ले रहे कैडेट्स व जेंटलमैन कैडेट्स पूरी तीन साल तक आईएमए में ही रहे। वे बाहर नहीं निकले। छूट्टी के दौरान भी वे आईएमए में ही रहे। इधर, शनिवार को आईएमए में आये परिजन अपनों से मिलने को बेताब दिखे। परिजनों ने कहा कि वे तीन साल बाद आज अपने बेटों से मिल रहे हैं। ज्यादातर परिजन अपने वाहन से यहां पहुंचे हुए थे। परिजनों ने कहा कि डर था कि कहीं दोबारा से लॉकडाउन लगा तो बेटे को अपनी गाड़ी से ही घर ले जायेंगे।