उत्तराखण्ड

लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा में हो सकती है बागियों की घरवापसी

देहरादून : आगामी लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा अपने कुछ बागी नेताओं का निष्कासन समाप्त कर उनकी घर वापसी करा सकती है। पार्टी अध्यक्ष अमित शाह के हालिया दून दौरे के दौरान अपने-अपने क्षेत्र में जनता में गहरी पैठ रखने वाले अन्य दलों के नेताओं और निर्दलीय चुनाव लड़ ठीकठाक वोट हासिल करने वालों को पार्टी में शामिल करने की हरी झंडी मिलने के बाद इस बात की संभावना बलवती हो गई है।

पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा को डेढ़ दर्जन से ज्यादा सीटों पर बागियों का सामना करना पड़ा था। इनमें कई पूर्व विधायक भी शामिल थे। आगामी लोकसभा चुनाव के लिए अब एक साल से भी कम वक्त रह गया है।

पिछले लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लहर में उत्तराखंड की पांचों सीटों पर भाजपा परचम फहराने में कामयाब रही थी। जीत का क्रम पार्टी ने पिछले साल संपन्न विधानसभा चुनाव में भी कायम रखा और 70 सदस्यीय विधानसभा में अकेले दम पर 57 सीटें जीतने में सफल रही।

इस लिहाज से देखा जाए तो महज पांच लोकसभा सीटें होने के बावजूद उत्तराखंड भाजपा के लिए खासी अहमियत रखता है और पार्टी जीत का सिलसिला आगामी लोकसभा चुनाव में भी जारी रखना चाहती है। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के हालिया दौरे में मिले निर्देशों के बाद पार्टी अब अन्य दलों के कद्दावर नेताओं और निर्दलीय चुनाव लड़ ठीकठाक वोट पाने वाले नेताओं को पार्टी में शामिल कर सकती है।

सूत्रों के मुताबिक इसी कड़ी में भाजपा से बगावत कर विधानसभा चुनाव लड़ने वाले कुछ पूर्व विधायकों पर पार्टी की नजर है। मंशा ये है कि इनकी घर वापसी कराकर लोकसभा चुनाव में पार्टी की स्थिति और मजबूत की जाए।

निष्कासन का दंश झेल रहे कुछ पूर्व विधायकों के साथ ही विस चुनाव में भाजपा प्रत्याशियों के खिलाफ मैदान में उतरने वाले बागियों और अन्य नेताओं में घरवापसी की छटपटाहट भी है।

हाल में देहरादून के सहस्रधारा स्थित एक रिसॉर्ट में हुई इन नेताओं की बैठक में प्रदेश में नए संगठन बनाने के ऐलान को भाजपा में घर वापसी के दबाव के तौर पर देखा जा रहा है।

सूत्रों की मानें तो केंद्रीय नेतृत्व से मिली हरी झंडी के बाद क्षेत्र विशेष में जनाधार वाले नेताओं की भाजपा में घर वापसी के प्रदेश नेतृत्व भी सक्रिय हो गया है। इस सिलसिले में मानक तय करने के साथ शर्तों पर मंथन चल रहा है। इसके लिए जल्द ही कमेटी भी गठित की जा सकती है। हालांकि, भाजपा का प्रांतीय नेतृत्व अभी इस बारे में कुछ भी कहने से परहेज कर रहा है।

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