देश के पहले गांव की महिलाएं भोजपत्र पर लिख रहीं स्वावलंबन की गाथा
गोपेश्वर। ‘जहां चाह वहां राह’ इस कहावत को चरितार्थ कर रही है देश के प्रथम गांव माणा की नारी शक्ति। उत्तराखंड में चीन सीमा पर स्थित देश के प्रथम गांव माणा और नीती घाटी की महिलाएं भोजपत्र पर सफलता की कहानी लिख रही हैं। स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाओं ने पारंपरिक तरीकों के बजाय आय अर्जन के लिए नई राह चुनी है। समूह की दस महिलाओं ने कैलीग्राफी से भोजपत्र पर आरती, श्लोक, अभिनंदन आदि लिखने की जो कवायद शुरू की, उससे आज 70 से अधिक महिलाएं जुड़ चुकी हैं।
महिलाओं की इस पहल में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रंग भरा, जिनके आह्वान के बाद महिलाओं के तैयार उत्पाद बदरीनाथ धाम और यात्रा मार्ग पर हाथों-हाथ बिकने लगे। इस यात्रा सीजन में भोजपत्र पर बने उत्पाद बेचकर ये महिलाएं दो लाख रुपये से अधिक कमा चुकी हैं। प्राचीन काल में लेखन भोजपत्र की छाल पर ही होता था। फिर कागज के आविष्कार के साथ नए युग की शुरुआत हुई, जिसकी जगह कंप्यूटर ले रहा है। इन सबके बीच चमोली जिले की नीती-माणा घाटी के स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी महिलाएं भोजपत्र की पौराणिकता कायम रखने में जुटी हैं। वर्ष 2022 में जोशीमठ ब्लाक में जय भूम्याल कैलाशपुर, जय जगदंबा नीतेश्वर व जय मां उनियाणी स्वयं सहायता समूह से जुड़ी 10 महिलाओं को विकास विभाग ने भोजपत्र पर कैलीग्राफी का प्रशिक्षण दिया। इसके बाद महिलाओं ने उत्पाद बनाना शुरू किया।
2022 में प्रधानमंत्री को भेंट की गई थी कलाकृति
जोशीमठ के खंड विकास अधिकारी मोहन जोशी बताते हैं कि 21 अक्टूबर 2022 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जब माणा आए तो स्वयं सहायता समूह से जुड़ी भोटिया जनजाति की महिलाओं ने उन्हें भोजपत्र पर बनी कलाकृति भेंट की। इससे अभिभूत प्रधानमंत्री ने तीर्थ यात्रियों का स्थानीय उत्पादों की खरीद पर अपने यात्रा व्यय का पांच प्रतिशत खर्च करने का आह्वान किया।