बिहार में बेकाबू होती भीड़, कानून को हाथ में लेकर सड़कों पर ही कर रही तालिबानी फैसला
बिहार में दिन-ब-दिन भीड़ हिंसक होती जा रही है। इस भीड़ पर ना कानून का खौफ दिखाई देता है और न ही मानवता या दया दिखाई देती है। बिहार में सरेआम भीड़ का तालिबानी चेहरा साफ दिख रहा है। एक तरफ भीड़ कानून को अपने हाथ में लेकर अॉन स्पॉट सजा सुनाते हुए पीट-पीटकर किसी की जान ले रही है तो वहीं भीड़ में शामिल लोग घायल को बचाने की बजाय वीडियो बनाकर उसे वायरल करने में लगे हैं।
क्रूरता की हद एेसी कि बच्चों के विवाद में महिला की पीट-पीटकर सरेआम हत्या, कहीं अफवाह की वजह से युवक की हत्या, कहीं लुटेरे को अॉन स्पॉट सजा तो कहीं हथियारबंद अपराधियों को भी पीटकर मारने में भीड़ पीछे नहीं है। इन घटनाओं का वीडियो वायरल है जिसमें भीड़ का तालिबानी इंसाफ साफ देखा जा सकता है।
भीड़ अब पुलिस और प्रशासन से शिकायत करने की जरुरत नहीं समझती है। भीड़ के इस क्रूर चेहरे की बात करें तो इसने महज बीते पांच दिनों में सरेआम पीट-पीटकर छह लोगों की हत्या कर दी और पुलिस इन मामलों में बेबस और लाचार देखती रही। पुलिस जबतक घटनास्थल तक पहुंचती है लोग अपना इंसाफ कर चुके होते हैं।
इसमें एक बड़ी बात यह देखने को मिल रही कि इस भीड़ में किशोर, युवक, बच्चे सभी शामिल होते हैं। यहां क्रूरता की हद एेसी कि बच्चों के विवाद में महिला की पीट-पीटकर सरेआम हत्या, कहीं अफवाह की वजह से युवक की हत्या, कहीं लुटेरे को अॉन स्पॉट सजा तो कहीं हथियारबंद अपराधियों को भी पीटकर मारने में भीड़ पीछे नहीं रही। यह घटनाएं ऐसी हैं जिनका वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल किया गया और हजारों लोगों ने इन्हें देखा भी। इन वायरल वीडियो में भीड़ का तालिबानी इंसाफ साफ देखा जा सकता है।
ये हैं मामले
सासाराम- भीड़ ने लुटेरे को पीटकर मार डाला
ताजा घटना सासाराम जिले की है जहां भीड़ ने रेलवे स्टेशन के पास मौत की सजा को सरेआम अंजाम दिया । यहां रेलवे बुकिंग क्लर्क से कुछ लुटेरे 25 लाख रुपये लूटने की कोशिश कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने फायरिंग की जिससे एक महिला घायल हो गई। गोली चलने की आवाज सुन लोग बाहर निकल आए और उन्होंने लुटेरों को छीना-झपटी करते देखा। भीड़ को देख कुछ लुटेरे भागने में सफल रहे लेकिन उनमें से एक लुटेरा भीड़ के हत्थे चढ़ गया और भीड़ ने उसे पीट-पीटकर मार डाला।
सीतामढ़ी-चोरी की अफवाह ने युवक की ले ली जान
दूसरी घटना सीतीमढ़ी जिले की है जहां चोरी की अफवाह ने एक युवक की जान ले ली। जानकारी के मुताबिक युवक अपनी दादी की बरसी के लिए सामान लेने सीतामढ़ी जा रहा था कि एक पिकअप चालक ने चोर-चोर का शोर मचाया और लोगों ने बिना कुछ समझे-युवक को पकड़ लिया और बीच सड़क पर उसे पीटना शुरू कर दिया। उसपर लाठी डंडे बरसाए जा रहे थे और वो चीखता रहा। बाद में इलाज के दौरान उसने दम तोड़ दिया।
सासाराम-बच्चों के विवाद में महिला की सरेआम हत्या
इससे पहले रोहतास जिले में भीड़ ने एक महिला की इसलिए पीट-पीटकर हत्या कर दी कि उन्हें शक था कि वो डायन है। भीड़ महिला को दौड़ा-दौड़ाकर पीटती रही इस वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि महिला को बस्ती के कुछ लोग लाठी-डंडे से सरेआम पीट रहे हैं। बच्चों के विवाद में हुई इस घटना ने समाज के एक एेसे चेहरे को उजागर किया है जिसमें भीड़ का अमानवीय चेहरा साफ दिख रहा है।
मृतका माला देवी अपने जान की भीख मांगती रही लेकिन किसी ने उसकी एक ना सुनी।पीड़िता चीखती रही, खुद को बचाने की कोशिश भी करती रही लेकिन भीड़ ने बेरहमी से पीटकर उसे मार डाला। लोग वीडियो बनाते रहे और महिला उन सबके बीच मौत की गहरी नींद सो गई।
बेगूसराय-भीड़ ने हथियारबंद तीन अपराधियों की ले ली जान
बेगूसराय में तो भीड़ का बेखौफ चेहरा दिखा जिसमें लोगों ने हथियारबंद तीन अपराधियों को पीट-पीटकर मार डाला था। तीनों अपराधी स्कूल में घुसकर एक छात्रा का अपहरण कर रहे थे कि वो भीड़ के हत्थे चढ़ गए। उनका हथियार भी भीड़ के आगे फीका पड़ गया और भीड़ ने अॉन स्पॉट फैसला सुनाते हुए तीनों अपराधियों को मार डाला।
भीड़तंत्र ले रही जान, शासनतंत्र पर सवाल
उग्र भीड़ की दरिंदगी ने शासनतंत्र पर सवाल खड़े किए हैं। इन मामलों में पुलिस की लापरवाही भी सामने आ रही है। पुलिस जबतक मौके पर पहुंचती है तब तक उग्र भीड़ अपना काम कर चुकी होती है। इन घटनाओं ने एक बार फिर से बिहार में लॉ एंड ऑर्डर पर सवाल खड़े कर दिये हैं। जिस तरह से लोगों के मन से पुलिस का खौफ निकल रहा है और लोग कानून हाथ में लेने से बाज नहीं आ रहे वो निश्चित रूप से कानून पर सवालिया निशान है।
घटना के वायरल वीडियोज में भीड़ की दरिंदगी की शर्मनाक तस्वीर साफ नजर आती है। बिहार में हर दिन इस तरह भीड़तंत्र द्वारा कानून को हाथ में लिया जाना चिंतनीय है।
मनोचिकित्सक ने बताया भीड़ की हिंसा का मनोविज्ञाान
भीड़ की हिंसा इसके पीछे के मनोविज्ञान की बात करते हुए पटना की मनोचिकित्सक डॉक्टर बिन्दा सिंह ने बताया कि भीड़ का एक ही मकसद रहता है मजा लेना और वर्चस्व दिखाना। एेसा इसलिए हो रहा है क्योंकि इस तरह के असामाजिक तत्वों के पास खुराफात करने के लिए कुछ होना चाहिए। इनमें डर खत्म होता जा रहा है। ना कानून का डर होता है ना ही समाज का।
उन्होंने कहा कि ये भीड़ का बढ़ता मनोबल ही है कि किसी की मौत की घटना को सरेआम अंजाम दिया जाता है। एेसे लोगों के पास कोई काम नहीं होता, उपद्रव मचाना और वर्चस्व दिखाना ही इनका मकसद होता है। ये सोचते हैं कि हम समूह में एेसी कोई भी घटना को अंजाम देंगे हमारा कोई कुछ बिगाड़ नहीं सकता।
मॉब लिंचिंग पर आरोप-प्रत्यारोप
कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता सदानंद सिंह ने कहा कि इन घटनाओं को देखकर लगता है कि जनता का सरकार पर से भरोसा उठ गया है। पुलिस और प्रशासन का खौफ नहीं है। बिहार में कानून का राज्य समाप्त हो गया है और साथ ही मुख्यमंत्री का इकबाल भी समाप्त हो गया है। इस तरह की घटनाएं ये दिखा रही हैं कि लोग अब खुद कानून हाथ में ले रहे हैं क्योंकि उन्हें प्रशासन पर भरोसा नहीं है।
वहीं इसका जवाब देते हुए जदयू ने राजद पर आरोप लगाते हुए कहा कि ये सब राजद का प्रायोजित है। वो लोग सीएम की छवि खराब करना चाहते हैं। पार्टी के प्रवक्ता संजय सिंह ने कहा कि बिहार में कानून का राज्य कायम है और रहेगा। ये सब बिहार में जो चल रहा है नहीं चलेगा। नीतीश कुमार का इकबाल बुलंद है और ये कोई राजद का शासन नहीं है।
गृह विभाग का आदेश-अधिकारी मॉब लिंचिंग वाले इलाके की पहचान करें
राज्य में ‘मॉब लिंचिंग’ रोकने के लिए गृह विभाग के प्रधान सचिव आमिर सुबहानी और डीजीपी केएस द्विवेदी ने राज्य के सभी जिलाधिकारियों व एसएसपी/एसपी के साथ वीडियो कान्फ्रेंसिंग कर आवश्यक निर्देश दिए थे, जिसमें कहा गया था कि ये अधिकारी अपने-अपने जिलों में मॉब लिंचिंग वाले इलाकों की पहचान करें। उन्होंने इस काम में लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों को चेतावनी भी दी थी।
सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों को जारी किया है दिशा निर्देश
दरअसल, विगत 17 जुलाई को सर्वोच्च न्यायालय के तीन न्यायाधीशों की खंडपीठ ने ‘मॉब लिंचिंग’ (भीड़ द्वारा किसी की पीट-पीटकर हत्या करने) को लेकर राज्यों को दिशा निर्देश दिए थे, जिसमें कहा गया था कि भीड़तंत्र को कानून अपने हाथ में लेने की इजाजत नहीं दी जा सकती।
एडीजी ने बताया-क्या है मॉब लिंचिंग…
राज्य के अपर पुलिस महानिदेशक (मुख्यालय) संजीव कुमार सिंघल ने बताया कि मॉब लिंचिंग के दायरे में केवल वही घटनाएं आती हैं जिसमें किसी भीड़ ने किसी आपराधिक वारदात के आरोपित की पीट-पीटकर हत्या कर दी हो। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि भीड़ द्वारा उपद्रव की घटनाएं ‘मॉब लिंचिंग’ की श्रेणी में नहीं आती हैं।