“आत्मा वही काया नई ” कैसे रहेगी जब मन्दिरों गलियों के शहर में मन्दिर और गलियाँ ही नहीं रहेंगी ?
खबरीलाल रिपोर्ट : काशीवासी कई दिनों से प्रतीक्षारत थे कि प्रधानमंत्री और काशी के सांसद नरेन्द्र मोदी अपने काशी प्रवास में मन्दिरों को ना तोडने की बात कहेंगे । उन्होंने स्पष्ट तो नहीं पर संकेत में ही यह बात कह दी है । उन्होंने कहा कि काशी की आत्मा नहीं बदली जा सकती, काया नई करना ही हमारा काम है ।इससे आशा जगी है कि प्रधानमंत्री के वक्तव्य के अनुसार यहाँ का स्थानीय प्रशासन काशी की पौराणिक गलियों और मन्दिरों से छेडछाड की अपनी प्रवृत्ति पर विराम लगाएगा और प्रधानमंत्री के वचनों पर अमल कर दिखाएगा ।
उक्त उद्गार मंदिर बचाओ आन्दोलनम के अन्तर्गत तीसरे चरण में बारह दिनी उपवास @पराक व्रत पर बैठे स्वामिश्रीः अविमुक्तेश्वरानन्दः सरस्वती शंकराचार्य घाट स्थित उपवास स्थल से कही । उन्होंने कहा कि हमें आशा है कि मुद्दे पर शीघ्र ही उत्तरप्रदेश का शासन प्रशासन इस सम्बन्ध में स्पष्ट घोषणा करेगा ।
स्वामिश्रीः ने आगे कहा कि कल प्रातः नौ बजे उनका उपवास पूरा होगा और पारणा के बाद दिन बारह बजे प्रेस कान्फ्रेंस कर वे आन्दोलनम् का अगला चरण घोषित करेंगे । ज्ञात हो कि स्वामिश्रीः के पराक व्रत का 11वां दिन है ।
नरेंद्र मोदी भगवान नहीं ।
स्वामिश्रीः ने राजातालाब क्षेत्र में वर्षों से चली आ रही परम्परा के टूटने पर प्रधानमंत्री जी के कार्यक्रम आयोजकों की कड़ी आलोचना की है । उन्होंने कहा कि जिस तरह भगवान जगन्नाथ जी के रथ को मार्ग से हटाकर अन्यत्र ले जाकर खडा किया गया उससे लगता है कि उत्तरप्रदेश का शासन प्रशासन जगन्नाथ और विश्वनाथ को नहीं अपितु नरेन्द्र मोदी को ही भगवान मानने लग गया है । यह प्रवृति दानवी प्रवृत्ति है भारतीय समाज ने इसका कभी भी स्वागत नहीं किया है ।
गंगा के बारे में बोलने में संकोच क्यों नही हुआ ?
स्वामिश्रीः ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के इस वक्तव्य पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि वे पुरानी सरकारों पर गंगा के नाम पर धनको हजम का आरोप लगाते रहे पर अपने सवा चार साल के कार्यकाल में हुई गंगा की अनदेखी पर एक शब्द नहीं कहा । आश्चर्य है कि प्रधानमंत्री जैसे पद पर बैठा व्यक्ति अपनी कमियों पर कोई संकोच नहीं दिखाता ।
रंग बिरंगी बत्ती कब तक रहेगी ?
स्वामिश्रीः ने अखबारों में प्रकाशित और पीएम मोदी द्वारा वर्णित वाराणसी के प्रमुख स्थापत्यों पर रंग-बिरंगी बत्तियों पर कटाक्ष किया और कहा कि नरेन्द्र मोदी के विकास का खोखलापन इसी से उजागर होता है कि आज उनके पास अपने द्वारा बनवाया गया एक स्थान नहीं है जिसे वे दिखा सकें । पुराने बने भवनों, घाटों आदि स्थान पर रंग-बिरंगी बत्तियां लगाकर वे अपने को विकास का पुरोधा कह रहे हैं । आखिर ये बत्तियां कबतक रहेंगी ?
क्या हजार करोड़ की योजना सेकाशी को खरीदा जा सकता है ?
स्वामिश्रीः ने कहा है कि यह वह काशी है जिसके डोम ने राजा हरिश्चन्द्र को खरीद लिया था । इसे आर्थिक प्रलोभन से खरीदा नहीं जा सकता है । काशी के लोगों में आज भी वही गौरव विद्यमान है । देने वाला देना चाहे तो दे पर दे देने मात्र से उसे यहाँ की परम्परा और संस्कृति से छेड़छाड़ का अधिकार नहीं मिल जाता ।