राष्ट्रीय

डिजिटल डाटा बेस वाला देश का पहला शहर होगी दिल्ली

दिल्ली में किस क्षेत्र में मास्टर प्लान का पालन हो रहा है? कहां पर उल्लंघन, कहां पर निर्माण अवैध है और कहां पर अतिक्रमण? ट्रंक सीवर लाइन कहां है और कहां पर बूस्टर पंप? इन तमाम जानकारियों के लिए न किसी सरकारी निकाय को फाइलों की धूल हटानी होगी और न पुराना रिकार्ड खंगालना होगा।

जल्द ही ये सारी जानकारी कंप्यूटर स्क्रीन पर महज एक क्लिक पर उपलब्ध होगी। इससे सरकारी कामकाज में अधिक पारदर्शिता आएगी। इससे दिल्ली वासियों की समस्याओं का निदान भी तेजी और सरलता से किया जा सकेगा। यही नहीं, देश भर में दिल्ली पूर्णतया डेटा बेस वाला पहला शहर होगा।

दरअसल, दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) पहली बार दिल्ली का डेटा बेस तैयार करने जा रहा है। इसमें न केवल डीडीए की कॉलोनियां बल्कि राजधानी का हर क्षेत्र शामिल किया जाएगा। इसमें दिल्ली का कुल क्षेत्रफल, आबादी, आवासीय इकाइयों, औद्योगिक क्षेत्रों, सड़कों एवं नागरिक सुविधाओं सहित सभी क्षेत्रों की पूरी जानकारी दी जाएगी।

जोनल प्लान के अनुसार, किस क्षेत्र में कितने मकान हैं, कहां जमीन पर कब्जा है और कहां पर अनधिकृत कॉलोनियां हैं, कहां स्कूल, अस्पताल, पार्क और शॉपिंग कांप्लेक्स हैं, कहां नागरिक सुविधाएं डाली गई हैं आदि की जानकारी मिलेगी।

सूत्रों के अनुसार, इसके लिए ड्रोन के जरिये दिल्ली भर के इलाकों का सर्वे किया जाएगा। उनकी मैपिंग भी की जाएगी। साथ ही कंप्यूटर में सारा डेटा फीड किया जाएगा। डीडीए के नए उपाध्यक्ष तरुण कपूर ने कार्यभार संभालते ही अधिकारियों के साथ बैठक कर डेटा बेस तैयार करने के निर्देश भी जारी कर दिए हैं। डेटा बेस के तहत विभिन्न 70 श्रेणियों में डेटा एकत्र और रिकार्ड किया जाएगा।

डीडीए का मानना है कि सारा डेटा बेस ऑनलाइन होने के बाद डीडीए ही नहीं बल्कि हर सरकारी विभाग-एजेंसी और स्थानीय निकायों के लिए यह खासा मददगार साबित होगा। मामला चाहे दिल्ली की बेहतर भावी प्लानिंग का हो या विभिन्न नागरिक सुविधाओं को अपग्रेड करने का, डेटा बेस उसमें मील का पत्थर बनेगा।

डीडीए उपाध्यक्ष तरूण कपूर ने बताया कि दिल्ली में आज ढांचागत विकास से जुड़ी जितनी भी समस्याएं हैं, उसकी जड़ में डेटा बेस न होना भी है। अगर यह होता तो समस्याओं का जल्द और पुख्ता समाधान किया जा सकता था। हैरत की बात है कि देश की राजधानी होने के बावजूद दिल्ली में आज तक डेटा बेस नहीं बना। बेंगलुरु में इस पर थोड़ा काम हुआ है, लेकिन उम्मीद है कि दिल्ली में अधिकतम एक साल के भीतर यह डेटा बेस पूर्णतया तैयार हो जाएगा।

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