उत्तराखण्ड

स्वास्थ्य व उच्च शिक्षा में 200 करोड़ के निवेश पर मिलेगी सब्सिडी

देहरादून: सेवा क्षेत्र नीति में चिह्नित किए गए आठ क्षेत्रों में निवेश की न्यूनतम सीमा अलग-अलग है। इस सीमा तक निवेश करने पर ही निवेशकों को सब्सिडी दी जाएगी। इन आठ क्षेत्रों में भी पर्वतीय अथवा मैदानी जिलों में वर्गीकृत किया गया है। सबसे अधिक निवेश की सीमा स्वास्थ्य सेवाएं व उच्च शिक्षा के लिए तय की गई है। इनमें निवेशकों को मैदानी क्षेत्रों में आगामी नौ वर्षों के भीतर 200 करोड़ रुपये का निवेश करना होगा। निवेश के सापेक्ष सब्सिडी भी एकमुश्त न मिलकर किस्तों में निवेश को धरातल पर उतारने के आधार पर मिलेगी।

इस नीति में स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में सेकेंडरी अथवा विशेष देखभाल अस्पतालों के निर्माण पर निवेश में ध्यान केंद्रित किया गया है। मैदानी क्षेत्रों में योजना बनाने के लिए निवेशक को नौ वर्ष में 200 करोड़ का निवेश करना होगा। पर्वतीय क्षेत्र में निवेश की यह सीमा 25 करोड़ रखी गई है। इसमें केवल 10 योजनाओं को ही भूमि आवंटित की जाएगी। सब्सिडी का लाभ तभी मिलेगा, जब निवेशक 50 प्रतिशत नर्सिंग स्टाफ और 75 प्रतिशत स्पोर्टिंग स्टाफ के रूप में स्थानीय व्यक्तियों को रोजगार देंगे।

इन क्षेत्रों में भी तय है निवेश की सीमा

वेलनेस और पारंपरिक औषधि क्षेत्र में वेलनेस रिसॉर्ट, आयुर्वेद, योग, नेचुरोपैथी व समग्र उपचार को केंद्र में रखा गया है। इसमें निवेश की सीमा को दो भागों में बांटा गया है। मैदानी क्षेत्र में रिसॉर्ट व समग्र उपचार केंद्रों में नौ वर्ष में निवेश की सीमा 100 करोड़ रुपये तय की गई है। पर्वतीय क्षेत्र में यह सीमा 50 करोड़ रुपये रखी गई है। यह सुनिश्चित करने होगा कि इनमें 50 प्रतिशत सपोर्ट स्टाफ स्थानीय होगा। योग, आयुर्वेद, नेचुरोपैथी व समग्र उपचार केंद्रों के लिए मैदानी क्षेत्रों में 50 करोड़ और पर्वतीय क्षेत्रों में 25 करोड़ रुपये के निवेश की सीमा तय की गई है।

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