उत्तराखण्ड

कैंट बोर्ड देहरादून के साहब ने कर दिया ऐसा कारनामा, खूब हो रही है चर्चाएं

देहरादून। कैंट बोर्ड देहरादून के एफ-9 वाले कर्मचारियों में से दो कर्मचारियों का चालक पद पर पदोन्नति होना है। इसके लिए तीन कर्मचारियों ने टेस्ट दिया। जिनमें से एक कर्मचारी ने गाड़ी चलाते वक्त दीवार में टक्कर मार दी थी। ऐसे में अन्य दो कर्मचारियों का शायद इस पद पर प्रमोशन हो जाए। हो भी जाना चाहिए। कर्मचारियों के हित का मामला है। लेकिन कैंट के एक तेज तर्रार अफसर ने जो चयन प्रक्रिया के लिए कमेटी गठित की उसपर खूब चर्चाएं हो रही हैं। साहब की कार्यालय से बाहर उनके ही कर्मचारी जगहंसाई कर रहे हैं।
दरअसल मामला ये है कि कैंट बोर्ड द्वारा एक कमेटी का गठन किया गया है। जो इन कर्मचारियों की चालक पद के लिए टेस्ट लेने के साथ ही अन्य प्रक्रिया को देखेगी। कमेटी ने ट्रक चलवाकर इन कर्मचारियों का टेस्ट भी ले लिया है। लेकिन मजेद्दार बात ये है कि जिन्होंने ट्रक चालक का टेस्ट लिया उनको खूद गाड़ी (चार पहिया) चलाने आती ही नहीं है। ऐसे में उन्होंने क्या टेस्ट लिया होगा भगवान ही भला है। कमेटी में कैंट बोर्ड के टैक्स ब्रांच से मुकेश, सेनेटरी इंस्पेक्टर नरेंद्र सिंह और ब्लूमिंग बर्ड्स स्कूल से प्रिंसिपल बसंत उपाध्याय को शामिल किया गया है। सूत्र ने बताया कि इन तीनों को चार पहिया वाहन चलाने नहीं आती है। ऐसे में ट्रक चलाने वाले कर्मचारियों का इन्होंने क्या टेस्ट लिया होगा। कमेटी में शामिल इन अधिकारियों की भी कोई गलती नहीं है। गलती उनकी है जिन्होंने कमेटी बनाने और ऐसे स्टॉफ को इसमें शामिल करने का निर्देश दिया है। नियमानुसार कमेटी में एक एक्सपर्ट स्टॉफ अनिवार्य रूप से होनी चाहिए। जिसे बड़े वाहन चलाने से संबंधित जानकारियां हो। लेकिन ऐसा नहीं किया गया।
कैंट खत्म से पहले लूट सको तो लूट लो
अंदर और बाहर कैंट खत्म की खूब चर्चाएं हो रही है। अखबारों व सोशल मीडिया पर भी इससे संबंधित लगातार खबरें प्रकाशित हो रही हैं। ऐसे में कुछ अधिकारियों ने नया फंडा अपना लिया है। कैंट खत्म से पहले जितना लूट सकते हो लूट लो। मामला कितना भी विवादित क्यों ना हो गांधी जी का दर्शन कराओ और अपना काम निपटाओ। रक्षा संपदा कार्यालय लखनऊ से एक स्टॉफ ने बताया कि कैंट खत्म की प्रक्रिया चल जरूर रही है लेकिन ये जरूरी नहीं है कि खत्म ही हो जाए।

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