पाकिस्तान को लेकर बड़ा सवाल- क्या इमरान की सरकार कर पाएगी पूरा कार्यकाल
पाकिस्तान के नए कप्तान इमरान खान की ताजपोशी का समय लगातार बदलता जा रहा है। फिलहाल 15 अगस्त को उनकी ताजपोशी की बात की जा रही है, लेकिन हो पाएगी या नहीं इस बारे में फिलहाल कोई कुछ नहीं कह रहा है। ये सब तब हो रहा है जब इमरान खान ने अपनी सरकार बनाने के लिए जरूरी नंबर जुटा लिए हैं। सरकार बनाने को उन्हें 172 सीटें चाहिएं थीं, निर्दलीय और दूसरी पार्टियों के समर्थन के बाद अब उनके पास 174 सीटें हैं। कुल मिलाकर ये कहना गलत नहीं होगा कि आंकड़ों की बाजीगिरी में वह फिलहाल बाजी मार ले गए हैं। लेकिन इसके बाद भी एक बड़ा सवाल ज्यों का त्यों बना हुआ है। और वो ये है कि क्या इमरान खान अपनी सरकार को पूरा समय चला सकेंगे।
इमरान पर सवाल
पाकिस्तान में कथित लोकतात्रिंक व्यवस्था को देखते हुए यह सवाल काफी बड़ा है। ऐसा इसलिए है क्योंकि पाकिस्तान का कोई भी प्रधानमंत्री आज तक अपना समय पूरा नहीं कर पाया है। नवाज शरीफ इसकी ताजा मिसाल हैं। वह तीन बार सत्ता पर काबिज हुए लेकिन तीनों बार ही उन्हें हटा दिया गया। बहरहाल, सवाल जितना बड़ा है इसका जवाब भी उतना ही उलझा है। उनका समय पूरा करने के सवाल पर विदेश मामलों के जानकार कमर आगा भी इससे पूरी तरह से इत्तफाक रखते हैं। दैनिक जागरण से बात करते हुए उन्होंने कहा कि इमरान खान को सत्ता तक पहुंचाने वाली सेना है। वह अपने आप कुछ नहीं कर सकते थे। लिहाजा जब तक वह सेना का साथ देते रहेंगे तब तक सत्ता में बने रहेंगे। जहां उन्होंने सेना से इतर कुछ करने की कोशिश की तो उन्हें सेना सत्ता से बेदखल कर देगी।
खराब हालत में पाकिस्तान और इमरान
उनके मुताबिक पाकिस्तान के मौजूदा हालात काफी खराब हो चुके हैं। आर्थिकतौर पर उसके हाल खराब है। ऐसे में इमरान खान ने जो वादे चुनाव के दौरान आवाम से किए थे उन्हें भी पूरा करना काफी मुश्किल होगा। ऐसा इसलिए है क्योंकि पहले पाकिस्तान को तीन तरफ से फंड मिलता था। इसमें अमेरिका, सऊदी अरब और चीन शामिल था। लेकिन अब अमेरिका पूरी तरह से उससे अलग हो चुका है। हाल ही में अमेरिका ने पाकिस्तान को आतंकवाद खत्म करने के नाम पर दिए जाने वाले फंड में जबरदस्त कटौती की है। इसके बाद सऊदी अरब कि हालत भी पहले से खराब हो चुकी है। वह यमन में लड़ाई पर काफी पैसा खर्च कर रहा है। इसके बाद चीन ही बचता है। लेकिन चीन पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति को मजबूत नहीं कर सकता है। ऐसे में भी इमरान खान के सत्ता में आने के बाद भी उनके समय पूरा करने पर बड़ा सवाल खड़ा हो जाता है।
सेना के खिलाफ जाने की हिम्मत
जहां तक नंबर जुटाने वाली बात है तो उसमें उन्होंने जरूर बाजी मार ली है। कमर आगा का ये भी कहना है कि सेना के खिलाफ जाने की हिम्मत वहां पर शायद ही कोई करेगा। जो करेगा उसका हश्र नवाज या बेनेजीर और उनके पिता भुट्टो जैसा ही होगा। लेकिन जिन निर्दलीयों और पार्टी ने इमरान को समर्थन किया है उनके अपने स्वार्थ हैं। ऐसे में टकराव होना बेहद लाजमी है। हालांकि इमरान सेना के पोस्टर ब्वॉय के तौर पर जाने और पहचाने जाते हैं। अब तक उन्होंने वही किया है जो जो सेना ने उनसे करवाना चाहा। ये पूछे जाने पर कि सबसे बड़ी पार्टी बनने के बाद भी क्या वास्तव में इमरान को पाकिस्तान की आवाम पसंद करती है, आगा का कहना था इमरान की राजनीतिक जमीन बेहद खोखली है। सिंध हो या फिर बलूच हो या फिर पंजाब हो इमरान को बहुत लोग पसंद नहीं करते है। लेकिन यहां के युवाओं की दिलचस्पी जरूर इमरान में हो सकती है।
सेना खुद सत्ता में नहीं आ सकती
कमर आगा का साफतौर पर कहना है कि मौजूदा समय में पाकिस्तान की सेना खुद सीधेतौर पर सत्ता पर काबिज नहीं हो सकती है। यदि होती है तो उसको अमेरिका समेत दूसरे देशों से कोई समर्थन नहीं मिलने वाला है। ऐसे में छवि खराब होने की आशंका ज्यादा है। लिहाजा सेना सत्ता पर अपनी बात मनवाने के लिए एक मुखौटा रखना चाहती है जो मौजूदा समय में इमरान खान है। जैसा सेना कहेगी वो करेंगे, जब करने से इंकार कर देंगे तो बाहर कर दिए जाएंगे। सेना के सरकार में दखल देने का इससे बेहतर उपाय कुछ और नहीं हो सकता है।
नवाज का सकुशल बाहर आना बेहद मुश्किल
कमर आगा ने इस बातचीत में ये भी कहा कि नवाज शरीफ के बुरे दिनों की शुरुआत करने के पीछे पहले और अब भी सेना ही रही है। पहले मुशर्रफ जो कि खुद राष्ट्रपति होने के साथ-साथ सेनाध्यक्ष थे, वो रहे और अब भी सेना की वजह से उन्हें ये दिन देखने पड़े हैं। उनके मुताबिक नवाज सेना को किनारे लगाते लगाते खुद सेना द्वारा किनारे कर दिए गए। ये पूछे जाने पर कि नवाज क्या जेल से सकुशल वापस आ सकेंगे, उनका कहना था कि ये काफी मुश्किल है। आपको बता दें कि नवाज की हालत काफी खराब है और उन्हें अदियाला जेल से दूसरी जेल में शिफ्ट किया गया है। लेकिन फिलहाल उनकी हालत खराब है। इसलिए उनके सकुशल वापस आ पाना काफी मुश्किल दिखाई देता है।
खतरे में पीएमएल-एन का वजूद
पीएमएल-एन के वजूद को लेकर उनका कहना था कि नवाज से यह पार्टी थी, लेकिन नवाज के बाद पार्टी का वही हश्र होगा जो भुट्टो की पार्टी पीपीपी का हुआ है। वह मौजूदा दौर में अपने गढ़ में भी बेहतर प्रदर्शन नहीं कर सकी है। उनके मुताबिक पाकिस्तान में भी पार्टी एक चेहरे से ज्यादा कुछ नहीं है। पीपीपी का चेहरा बेनेजीर भुट्टो हुआ करती थीं और पीएमएल-एन का चेहरा नवाज थे। भुट्टो के जाने के बाद पार्टी अंतिम सांसे गिन रही है। वहीं पीएमएल-एन में अब कोई बड़ा नेता नहीं है जो उसको आगे बढ़ा सके। लिहाजा ये पार्टी भी सिर्फ झंडे और पोस्टर तक ही सिमट कर रह जाएगी। मौजूदा दौर की यदि बात करें तो पंजाब से भी अब पीएमएल-एन खारिज हो चुकी है। यह नवाज के लिए काफी बुरा है।