उत्तराखण्ड

निवर्तमान मेयर गौरव गोयल ने बीस करोड़ की संपत्ति निगम को दिलाई वापस, भ्रष्टाचार का किया खुलासा

निवर्तमान मेयर गौरव गोयल ने प्रेसवार्ता कर मामले का किया खुलासा

रुड़की। नगर निगम रुड़की की करोड़ों की बेशकीमती सम्पत्ति को कब्जा धारक से मुक्त कराये जाने के संबंध में निवर्तमान मेयर गौरव गोयल ने शुक्रवार को नगर के एक होटल में प्रेसवार्ता किया। उन्होंने कहा कि बीटी गंज में सुबोध कुमार गुप्ता (मथुरा भवन) को लीज पर दी गई निगम की सम्पत्ति की समयावधि वर्ष 1982 में समाप्त हो चुकी थी। इसके बाद एक वर्तमान विधायक ने निगम के तत्कालीन अधिकारियों एवं कुछ पार्षदों के साथ मिलीभगत करते हुए नियमाविरुद्ध लीज नवीनीकरण कराया। जिसकी शिकायत सरकार से की गई। जांच पड़ताल के बाद मामला सही पाए जाने के बाद शहरी विकास निदेशालय ने नगर आयुक्त को पत्र लिखते हुए लीज निरस्त करते हुए आवश्यक कार्रवाही के निर्देश दिए हैं। गौरव गोयल ने कहा कि ये उनकी जीत हुई है। क्योंकि वह भ्रष्टाचारियों से लड़ने के लिए ही मेयर पद से इस्तीफा दिए थे।
आयोजित प्रेसवार्ता के दौरान गौरव गोयल ने दावा किया कि पूर्व में रहीं एक नगर आयुक्त तथा सहायक नगर आयुक्त के प्रशासक कार्यकाल में उक्त लीज की सम्पत्ति में नवीनीकरण करने के लिए नियम विरूद्ध एक रसीद काटी गई। आरोप लगाया कि करोड़ो की इस संपत्ति को उनका कार्यकाल शुरू होने से पूर्व तत्कालीन नगर आयुक्त ने एक लाख बीस हजार की किराए की रसीद काटकर संपत्ति का लीज बढ़ाने का प्रयास किया। उसके बाद भी आए अधिकारियों ने भी लीज बढ़ाए जाने के लिए शासन को पत्र लिखे। आरोप लगाया कि इन चालीस वर्षों तक सुबोध गुप्ता इस संपत्ति पर अवैध रूप के काबिज रहे और बैंक से किराया वसूलते रहे। गोयल ने कहा कि वह मामले को बोर्ड बैठक में लेकर गए तो छब्बीस पार्षदों ने उनका पुरजोर विरोध किया। कहा कि अब शासन ने मामले में लीज निरस्त कर दी है और निगम अधिकारियों को अग्रिम कारवाई करने के साथ मामले में रिपोर्ट प्रेषित करने को कहा है। जबकि पूर्व में ही इस सम्बन्ध में डीजीसी सिविल संजीव कौशल ने अपनी लिखित राय में उक्त सम्पत्ति का नवीनीकरण नहीं किया जा सकता की रिपोर्ट बनाई थी। गोयल ने बताया कि बाद में नगर निगम रुड़की के नगर आयुक्त रहे एक अधिकारी द्वारा भी मूल तत्वों को सामने न रख शासन को गुमराह करते हुए एक पत्र निदेशालय को लीज की सम्पत्ति को नवीनीकरण कराने के लिए भेजा गया। पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष तथा नगर विधायक प्रदीप बत्रा पर भी गंभीर आरोप लगाए। कहा कि प्रदीप बत्रा भ्रष्टाचार के दलदल में फंसे हुए हैं। उन्होंने अपने कार्यकाल में नगर निगम की लगभग चालीस सम्पत्तियों को खूर्दबूर्द किया।
संपत्ति को बचाने के लिए लड़ी लंबी लड़ाई
उन्होंने कहा कि नगर निगम की सम्पत्ति को बचाने के लिए उनके द्वारा लम्बी लडाई लड़ी गई। आरोप है कि पूर्व प्रतिनिधियों एवं विधायक द्वारा कुछ पार्षदों के साथ मिलकर एक बड़ी साजिश रची गई थी। ताकि नगर निगम में भ्रष्टाचार चलता रहे।
आवासीय भवन का हो रहा था कॉमर्शियल प्रयोग
गौरव गोयल ने बताया कि वर्ष 1952 में सुबोध कुमार गुप्ता द्वारा रिहाईश के लिए नगर पालिका से उक्त सम्पत्ति ली गई थी। लेकिन इसके विपरीत उन्होंने उक्त सम्पत्ति का व्यवसायिक लाभ लिया। वर्ष 1957 से 2010 तक पीएनबी बैंक को किराये पर देकर लाखों रूपये प्रतिमाह वसूल किए। प्रेस वार्ता में पूर्व भाजपा नगर अध्यक्ष डॉ. राकेश त्यागी,भाकियू नेता राकेश अग्रवाल,अनूप शर्मा तथा अविनाश त्यागी आदि प्रमुख रूप से मौजूद रहे।
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वर्जन:::
निदेशालय से जो निर्देश मिले हैं उसका अवलोकन किया जा रहा है। नियमानुसार उस संपत्ति पर निगम द्वारा कार्रवाई की जाएगी। जितेंद्र कुमार, मुख्य नगर आयुक्त
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सारे आरोप बेबुनियाद है। उस वक्त मैं बोर्ड में था तो ज्यादा से ज्यादा कार्य नगर पालिका हित में किया था। नगर पालिका के पास बजट का उस समय काफी अभाव था। वेतन के लिए कर्मचारी धरने पर बैठ जाते थे। ऐसे में राजस्व लाभ को देखते हुए संपत्तियों को लीज पर दी गई। अभी भी आधे से ज्यादा दुकानें नगर निगम ने लीज पर दे रखा है। इससे निगम को ही फायदा है। प्रदीप बत्रा, विधायक

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