तेज प्रताप के ‘प्रेशर पॉलिटिक्स’ से सकते में लालू परिवार
बाहरी संकटों से घिरे लालू प्रसाद यादव के परिवार में भी सबकुछ ठीक नहीं चल रहा। सोमवार को लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव के फेसबुक पेज पर एक पोस्ट में परिवार व ‘आस्तीन के सांपों’ के खिलाफ संगीन आरोप लगाए गए। इस बार निशाने पर मां राबड़ी देवी भी रहीं। हालांकि, थोड़ी देर बाद तेज प्रताप यादव ने विवादित पोस्ट हटाते हुए सफाई दी कि उनका अकाउंट हैक कर लिया गया था। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने पार्टी व लालू परिवार में ‘ऑल इज वेल’ का दावा किया है।
तेज प्रताप कहते हैं कि उनका फेसबुक अकाउंट कर किसी ने यह पोस्ट डाला था। लेकिन, सवाल यह है कि अगर ऐसा हुआ तो उन्होंने अभी तक इसकी शिकायत पुलिस से क्यों नहीं की? सवाल यह भी है कि अगर तेज प्रताप ने ही यह पोस्ट किया (हालांकि वे इनकार करते हैं) तो क्या यह तेज प्रताप की परिवार व पार्टी में प्रेशर पॉलिटिक्स है?
दोबारा सार्वजनिक हुआ असंतोष
विदित हो कि इसके पहले बीते नौ जून को भी तेज प्रताप का असंतोष सार्वजनिक तौर पर सामने आया था। उस वक्त भी पार्टी में उपेक्षा से आहत तेज प्रताप ने कई राजद नेताओं पर संगीन आरोप लगाए थे। तब डैमेज कंट्रोल की कवायद कर असंतोष को दबा लिया गया था। लेकिन, एक बार फिर तेज प्रताप के फेसबुक पेज पर विवादित पोस्ट से उनका असंतोष सार्वजनिक हुआ है।
परिवार में सत्ता संघर्ष के कयास
तेज प्रताप यादव लालू प्रसाद यादव एवं राबड़ी देवी के बड़े पुत्र हैं, लेकिन परिवार ने छोटे पुत्र तेजस्वी यादव को राजनीतिक उत्तराधिकारी बनाया है। तेज प्रताप के ताजा स्टैंड को राजनीतिक विश्लेषक लालू परिवार में सत्ता संघर्ष के रूप में देख रहे हैं। हालांकि, शीर्ष नेता पार्टी में विवाद और परिवार में तकरार जैसी बात से इनकार कर रहे हैं। खुद तेज प्रताप और तेजस्वी ने भी ऐसी आशंकाओं को खारिज किया है, लेकिन ताजा प्रकरण ने विरोधी दलों को परिवार पर हमले के लिए हथियार थमा दिया है, इससे किसी को इनकार नहीं हो सकता है।
सियासी विरोधियों को मिला मौका
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) व जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के नेता लंबे समय से लालू परिवार में ऐसी ही तकरार का इंतजार कर रहे थे। अनायास ही तेज प्रताप ने उन्हें मौका प्रदान कर दिया है। हो सकता है दोनों भाइयों में किसी तरह का मतभेद नहीं हो, लेकिन लगातार दो अवसरों पर तेज प्रताप का असंतोष सार्वजनिक होने से विरोधी दलों के नेता चौकन्ने हो गए हैं।
अब लालू परिवार की प्रत्येक गतिविधि में खामियां तलाशने की कोशिश होगी और छोटी सी बात को भी बतंगड़ बनाने के मौके लपके जाएंगे। लालू प्रसाद की अनुपस्थिति में विपक्ष के सारे हमले दोनों भाइयों को ही झेलने पड़ेंगे।
जदयू के प्रवक्ता नीरज कुमार ने तेज प्रताप यादव द्वारा फेसबुक अकाउंट हैक कर पोस्ट किए जाने की बात को नाटक बताते हुए कहा है कि अगर ऐसा है तो वे एफआइआर करें। भाजपा ने भी तेज प्रताप की सफाई को खारिज करते हुए कहा है कि लालू परिवार का कलह सतह पर आ गया है।
सियासी जनाधार की सुरक्षा का सवाल
लालू ने तीन दशक के प्रयास से बिहार में जो जनाधार तैयार किया है, वह पुत्रों के हाथों में कितना सुरक्षित रहेगा, इसपर सवाल उठने तय हैं। भाजपा और जदयू जैसे मजबूत सियासी दल राजद के आधार वोट पर प्रहार करने को तैयार हैं। विरोधियों को इसमें कामयाबी भी मिल चुकी है। वर्ष 2005 से लालू के चुनावी प्रदर्शन में आई गिरावट इसका प्रमाण है। 1995 में 167 सीटों पर अकेले जीत दर्ज करने वाला राजद 2010 में 22 सीटों पर सिमट गया था।
पहले से ही कम नहीं मुसीबतें
चारा घोटाले में फंसने के बाद से लालू परिवार की मुसीबतें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। कुछ मामलों में सजा हो चुकी है। कुछ में सुनवाई जारी है। खुद लालू कई तरह की बीमारियों से ग्रस्त होकर इलाज के लिए जमानत पर बाहर हैं। पार्टी में भी कई काम अटके हैं। संगठन विस्तार का काम भी अधूरा है। रेलवे होटल टेंडर घोटाला और आय से अधिक संपत्ति मामले में तेजस्वी यादव समेत परिवार के कई सदस्यों पर जांच एजेंसियों की तलवार लटकी हुई है। ऐसे में मुसीबतों में इजाफे का लालू परिवार पर नकारात्मक असर से इनकार नहीं किया जा सकता है।
आखिर क्या चाहते हैं तेज प्रताप?
तेज प्रताप के बीते जून के व हालिया बयानों पर गौर करें तो एक बात स्पष्ट है। वे पार्टी व परिवार में महत्व चाहते हैं। बीते नौ जून को उन्होंने कहा था कि पार्टी में उनकी नहीं सुनी जा रही। पार्टी में चुगलखोर नेताओं व असामाजिक तत्वों के जमावड़ा का भी आरोप लगाया था। उनके निशाने पर प्रदेश अध्यक्ष डॉ. रामचंद्र पूर्वे भी थे। हालांकि, वह ममला सुलझा लिया गया। बाद में तेज प्रताप ने पूर्वे को अपना अभिभावक बताया तथा तेजस्वी ने तेज प्रताप को बड़ा भाई और मार्गदर्शक कहा। तेजप्रताप ने भी साफ किया कि तेजस्वी से उनकर कोई झगड़ा नहीं है। लेकिन, पार्टी में अपमान बर्दाशत नहीं।
इस बार भी तेज प्रताप पार्टी में अपनी पहचान को लेकर गंभीर दिखे। साथ ही परिवार में उनकी बात नहीं सुने जाने को लेकर नाराजगी भी उजागर हुई।