राजनीति

विरोधियों को मोदी का जवाबः रोजगार नहीं डाटा की कमी है असली समस्या

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नौकरियों को लेकर सरकार पर निशाना साधने वालों और विरोधियों को जवाब दिया है। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि नौकरियों के आंकड़ों की कमी ने विपक्ष को अपनी पसंद से विरोध करने और उनकी सरकार को दोष देने का “अवसर” दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि उनकी सरकार में राजमार्ग, रेलवे, एयरलाइंस और आवास जैसे विभिन्न बुनियादी ढांचा क्षेत्रों में विकास हुआ है और जिसकी वजह से रोजगार के अवसरों में वृद्धि हुई है।

स्वराज मैगजीन को दिए इंटरव्यू में प्रधानमंत्री ने ईपीएफओ डेटा के आधार पर एक अध्ययन का हवाला देते हुए दावा किया कि पिछले साल औपचारिक क्षेत्र में 70 लाख से ज्यादा नौकरियां पैदा हुई थीं। उन्होंने कहा कि ये अनौपचारिक क्षेत्र में पैदा हुई उन नौकरियों के अलावा हैं, जो कि देश का करीब 80 प्रतिशत हिस्सा हैं। इसके अलावा पीएम मोदी ने गरीबी के घटने को लेकर एक इंटरनेशनल रिपोर्ट का उदाहरण देते हुए पूछा, ‘आप क्या सोचते हैं कि बिना नौकरी ये संभव है?’

इसके अलावा प्रधानमंत्री ने विपक्ष की आलोचनाओं का भी खंडन किया। उन्होंने कर्नाटक और पश्चिम बंगाल का संदर्भ देते हुए कहा, ‘कर्नाटक की पिछली सरकार ने 53 लाख और पश्चिम बंगाल की सरकार ने 68 लाख नौकरी पैदा करने का दावा किया है। क्या ये संभव है कि राज्य तो नौकरी पैदा कर रहे हों और केंद्र बेरोजगारी ??’

प्रधानमंत्री मोदी ने यूपीए के नेतृत्व वाली पिछली सरकार पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि यूपीए गठबंधन की सरकार ने भारतीय अर्थव्यवस्था में कई कमियां छोड़ी थीं। हालांकि, जब 2014 में एनडीए की सरकार आई तो देश हित में ये फैसला लिया गया कि पिछली सरकार की कमियों को उजागर नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि हम देश की पहले सोचते हैं न कि दल की।

अपने इंटरव्यू के दौरान मोदी ने किसानों के मुद्दे पर भी बात रखी। अपने साक्षात्कार के दौरान, पीएम मोदी ने किसानों के संकट के मुद्दे को भी संबोधित किया और भारत के कृषि क्षेत्र की दुर्दशा में सुधार करने के लिए चार स्तरीय रणनीति तैयार की। इसमें इनपुट लागत में कटौती, उत्पादन की कीमतें बढ़ाने, न्यूनतम फसल और फसल के बाद के नुकसान को सुनिश्चित करने, और आय उत्पादन के लिए और अधिक मार्ग पैदा करना।

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