किडनीकांडः सिर्फ चुप रहने के लिए एमडी लेता था हर माह पांच लाख रूपये, अब सलाखों के पीछे
देहरादून। जन केसरी
पैसों की भूख ने डेंटल कॉलेज के एमडी डॉ अरूण पांडेय को सलाखों के पीछे भेजवा दिया है। किडनीकांड प्रकरण में एमडी को इस गोरखधंधे के बारे में पता था। लेकिन वह पैसों की लालच में मुंह बंद रखा। पुलिस ने खुलासा करते हुए बताया कि इस प्रकरण का मास्टर माइंड डॉ अमित राउत कॉलेज के एमडी डॉ पांडेय को चुप रहने के लिए हर माह पांच लाख रूपये नगद देता था।
पुलिस के गिरफ्त में आए एमडी डॉ पांडेय ने बताया कि जनवरी 2017 में गंगोत्री चेरिटेबिल हॉस्पिटल शुरू हुआ। कुछ दिनों बाद यहां विदेशी मरीज आने लगे। शक के आधार पर चेरिटेबिल हॉस्पिटल के डॉक्टरों से पूछताछ की तो किडनी ऑपरेशन ट्रांसप्लांट के बारे में पता चला। पांडेय के अनुसार उसने डॉ अमित राउत को ऐसा करने से मना किया। आरोप है कि डॉ अमित राउत ने उसे पैसों की लालच देते हुए पांच लाख रूपये प्रतिमाह देने की बात कही। वह लालच में आकर चुपचाप रहा। एमडी ने पुलिस के सामने स्वीकार किया है कि चुप रहने के लिए वह अभीतक 10 से 12 लाख रूपये ले चुका है। वहीं आरोपी अशोक योगी ने बताया कि वह प्रोपर्टी डीलिंग, पंडित, डॉक्टररी आदि का काम भी करता है। डेंटल कॉलेज में एडमिशन दलाली का काम भी करता था। हालांकि योगी के पास से डॉक्टर से संबंधित कोई डिग्री पुलिस को नहीं मिली है। डॉ अमित राउत अशोक योगी को भी पैसे देकर चुप किया हुआ था। इन दोनों आरोपियों को गिरफ्तार करने में लालतप्पड़ पुलिस चौकी प्रभारी भुवनचंद्र पुजारी, कांस्टेबल भूपेंद्र सिंह, कांस्टेबल देवराज सिंह की अहम भूमिका रही।