मसूरी से गुलाब सिंह बने थे पहले निर्दलीय विधायक

देहरादून।
1957 में बनी मसूरी विधानसभा सीट से पहली बार गुलाब सिंह विधायक बने थे। उस वक्त वह निर्दलीय चुनाव जीतकर उत्तरप्रदेश की विधानसभा में पहुंचे। अभी तक इस सीट पर आठ बार कांग्रेस, पांच बार भाजपा और एक बार जनता पार्टी का प्रत्याशी जीता है। दो बार निर्दलीय प्रत्याशी ने यह सीट जीती। पिछले दो चुनाव से लगातार यह सीट भाजपा के खाते में है। इससे पहले भाजपा इस सीट पर जीत की हैट्रिक लगा चुकी है।
चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, 1952 में हुए पहले विधानसभा चुनाव में मसूरी क्षेत्र चकराता पश्चिमी दून में शामिल था और कांग्रेस के शांति प्रपन्न शर्मा यहां से विधायक थे। गुलाब सिंह उस समय भी निर्दलीय चुनाव लड़े थे। हालांकि उनको 3388 वोटों से हार का सामना करना पड़ा था। वर्ष 1957 में चुनाव हुए तो मसूरी अलग विधानसभा सीट बनी। इसमें चकराता का क्षेत्र भी शामिल था। इस चुनाव में निर्दलीय गुलाब सिंह ने कांग्रेस के सूरत सिंह को 3537 वोटों से हराया। बाद में गुलाब सिंह ने कांग्रेस का दामन थामा और 1962, 1967, 1969 में लगातार चार बार विधायक बने। 1974 के विधानसभा चुनाव में चकराता अलग सीट बनी। ऐसे में गुलाब सिंह चकराता पहुंचे और वहां से कांग्रेस के टिकट पर ही विधायक बने। स्व. गुलाब सिंह नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह के पिता थे। उस समय मसूरी से शांति प्रपन्न शर्मा कांग्रेस के टिकट पर विधायक बने थे।
42 वोट से जीत दर्ज कर विधायक बने थे रणजीत सिंह
देहरादून। मसूरी सीट पर वर्ष 1977 में पहली बार जनता पार्टी के रणजीत सिंह 42 वोट से जीतकर विधायक बने। वर्ष 1980 में कांग्रेस के ब्रह्मदत्त और 1985 में कांग्रेस के ही किशोरी लाल विधायक बने। 1989 में चुनाव में कांग्रेस से यह सीट निर्दलीय उम्मीदवार रणजीत सिंह ने छीनी और कांग्रेस के किशोरी लाल को 3235 वोटों से हराया। दूसरी बार वह इस सीट से विधायक बने थे। 1991, 1993 और 1996 में भाजपा के राजेंद्र सिंह तीन बार विधायक बने। उत्तराखंड राज्य बनने के बाद हुए चुनाव में 2002 और 2007 में कांग्रेस के जोत सिंह गुनसोला और 2012 और 2017 में भाजपा के गणेश जोशी इस सीट से विधायक हैं। 2012 में नए परिसीमन के बाद इस सीट पर राजनीतिक समीकरण बदले।