उत्तराखण्ड

कैंट बोर्ड के इस पार्क में जाना मतलब अपनी बेइज्जती कराना

देहरादून। कैंट बोर्ड देहरादून के अब्दुल कलाम बाल वाटिका पार्क में जाना मतलब अपनी बेइज्जती कराना है। इस पार्क में अव्यवस्थाओं का अंबार है। लावारिस इस पार्क में वो सारे काम हो रहे हैं जो नहीं होने चाहिए। अब क्षेत्रवासी अपने बच्चों को इस पार्क में ले जाने से कतरा रहे हैं। लोगों का आरोप है कि कैंट बोर्ड ने इस पार्क को लावारिस हाल में छोड़ दिया है। जिसके चलते ये पार्क नशेड़ियों का अड्डा बन गया है। प्रेमी-युगल अलग-अलग झाड़ियों में बैठे दिख जायेंगे।

अब्दुल कलाम वाटिका में कुछ इस तरह से कूड़ा पड़ा हुआ है
अब्दुल कलाम वाटिका में कुछ इस तरह से कूड़ा पड़ा हुआ है

स्थानीय निवासी रिटायर्ड एलबी थापा, मनोज गुरुंग, जयदीप, योगेश चमोली आदि ने कहा कि पार्क में गंदगी का अंबार है। चारों तरफ कूड़ा बिखरा पड़ा हुआ है। आरोप है कि कैंट बोर्ड ने इस पार्क को लावारिस हाल में छोड़ दिया है। जिसके चलते दिन भर यहां शरारती तत्वों का जमावड़ा लगा रहता है। लोगों ने कहा कि लाखों रुपये की लागत से इस वाटिका का सौन्दर्यीकरण कराया गया था। लेकिन अब वाटिका की दुर्दशा हो गई है। आरोप है कि वाटिका सौन्दर्यीकरण के नाम पर बजट को भी ठिकाना लगाया गया। इस वाटिका की रख रखाव की जिम्मेदारी किसी के पास नहीं है। यही वजह है कि इस वाटिका में बच्चों से ज्यादा नशेड़ियों और प्रेमी जोड़ी का जमावड़ा रहता है। जिसके चलते परिवार वाले अपने बच्चों को इस वाटिका में लेकर जाना बेइज्जती महसूस करते हैं।

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