बढ़ता वित्तीय घाटा, गिरता रुपये को काबू में करने के सरकार के फैसले पर कांग्रेस ने उठाए सवाल

नई दिल्ली। कांग्रेस ने पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों के बीच गिरते रुपये और बढ़ते वित्तीय घाटे को नियंत्रण में लाने के सरकार के ताजा कदमों को अपर्याप्त करार दिया है। पार्टी के अनुसार मसाला बांड जारी करने से लेकर विदेशी वाणिज्यिक उधारी यानि ईसीबी के नियमों को उदार बनाने सरीखे सरकार के कदम आधे अधूरे हैं। सरकार के पांच सूत्री कदमों से वित्तीय घाटे के बड़े अंतर को पाटना मुश्किल होगा।
पार्टी ने कहा आर्थिक चुनौतियों से निपटने के लिए पांच सूत्री फैसले अपर्याप्त
कांग्रेस मीडिया विभाग के प्रभारी रणदीप सुरजेवाला ने बयान जारी कर कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुआई में अर्थव्यवस्था की चिंताजनक हालत के संदर्भ में लिये गए पांच सूत्री फैसले सरकार के लचर रूख को दर्शाती है। सरकार ने पेट्रोल-डीजल पर वसूले जा रहे भारी टैक्स में कटौती का कोई खाका पेश नहीं किया है ताकि जनता को महंगे तेल से राहत मिल सके। उन्होंने कहा कि नोटबंदी की नाकामी व जीएसटी के खराब कार्यान्वयन की मार अर्थव्यवस्था पहले से ही झेल रही है और अब रुपये की गिरावट ने हालात ज्यादा मुश्किल कर दिये हैं।
कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि देश का चालू बजट खाता पिछली चार तिमाई में 1.9 से बढ़कर 2.4 फीसद पहुंच गया है। भारत के व्यापार घाटे के असंतुलन में भी पिछले साल के मुकाबले भारी इजाफे की संभावना है। विदेशी निवेशकों का भरोसा भी नोटबंदी व जीएसटी के खराब कार्यान्वयन के बाद टूटा है और उनका निवेश घटा है।
आर्थिक चुनौतियों और गिरते रुपये को काबू में करने के प्रयासों को मार्च 2019 तक सीमित रखने के सरकार के फैसले पर सवाल उठाते हुए कांग्रेस ने कहा है कि इससे साफ है कि एनडीए केवल अपने चुनावी हितों को लेकर चिंतित है। देश की अर्थव्यवस्था को चुनौतियों से उबार कर विकास की सरपट ट्रैक पर दौड़ाने का उसका नजरिया नहीं है।
सुरजेवाला ने सरकार को आर्थिक मंदी के दौर में यूपीए के समय लिये गए फैसलों से सीखने की नसीहत देते हुए कहा कि अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहन पैकेज, ब्याज में छूट, छोटे व लघु उद्योगों को रियायत जैसे कदमों से हालात संभाले जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि देश में उत्पादन ही नहीं उसकी खपत बढ़ाकर अर्थव्यवस्था की चुनौतियों से उबरा जा सकता है मगर सरकार के ये पांच सूत्री फैसले देश को उदारीकरण के पूर्व के दौर में ले जाने जैसे हैं।