बच्चे गर्भ से ही बन रहे दिल के मरीज, बढ़े केस
गर्भवती महिलाओं को रहना होगा बेहद ही सर्तक
रुड़की। नवजात और छोटे बच्चों में जन्मजात बीमारियां तेजी से बढ़ रही हैं। इन्हीं में से एक बीमारी है कॉन्जेनिटल हार्ट डिजीज (सीएचडी)। जिसके मरीज अब रुड़की में भी मिल रहे हैं। सिविल अस्पताल में एक माह के भीतर दस से ज्यादा मामले इस तरह के आ चुके हैं।
राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के रुड़की स्थित सिविल अस्पताल के दूसरे तल पर डिस्ट्रिक्ट अर्ली इंटरवेंशन सेंटर (डीईआईसी) है। जहां ऐसे बच्चों की काउंसलिंग व उपचार किए जाते हैं। सेंटर की मेडिकल ऑफिसर डॉ. आयुषी शर्मा ने बताया कि कॉन्जेनिटल हार्ट डिजीज के केस आजकल आ रहे हैं। उन्होंने बताया कि पिछले एक माह में दस से ज्यादा केस आ चुके हैं। जबकि सर्दी में नहीं के बराबर इस तरह के केस सामने आए थे। उन्होंने बताया कि इस सेंटर में समय रहते ऐसे बच्चों को लाया जाता है तो उनका बेहतर उपचार किया जा सकता है। देरी करने पर बीमारी और घातक हो सकती है। बताया कि सर्दी के मौसम में नवजात बच्चों को अक्सर माता-पिता बंद कमरे में रखते थे। अब ये बच्चे बाहर निकलकर खेलकूद रहे हैं। इस दौरान माता पिता को बच्चों की एक्टिवी का पता चल रहा है। बताया कि बच्चों में ठीक तरह से सांस नहीं लेने की ज्यादा शिकायतें आ रही हैं।
ये दी सलाह
मेडिकल ऑफिसर डॉ. आयुषी शर्मा ने बताया कि डायबिटीज, प्रेग्नेंसी के दौरान होने वाले संक्रमण, एक्सरे रेडिएशन और प्रेग्नेंसी के वक्त गलत दवाओं का इस्तेमाल सीएचडी के कुछ रिस्क फैक्टर्स हैं। इनके अलावा यदि गर्भवती महिला को स्मोकिंग और शराब की लत लगी है, तो वह बच्चे के दिल के लिए नुकसानदायक हो सकता है। बताया कि ये बीमारी आनुवंशिक भी हो सकती है।
चिकित्सकों के सलाह के बिना ना लें दवाई
डॉ. आयुषी शर्मा ने बताया कि गर्भवती महिलाओं को अपने बच्चों का ख्याल रखने के लिए बहुत ही सावधानी करनी होगी। ऐसी महिलाओं को समय से खाने पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि प्रोटीनयुक्त खाना खाएं। किसी भी तरह की बीमारी व परेशानी होने पर बिना चिकित्सक सलाह के मेडिकल से दवाई लेने से बचें। वरना गर्भ में पल रहा बच्चे के लिए घातक हो सकता है। उन्होंने रूटीन में चेकअप कराने की भी अपील की।