उत्तराखण्डदेहरादून

कैंट बोर्ड को अधिकारियों ने कंगाल किया, अब बच्चों के अधिकार को छीना

कैंट बोर्ड अब नहीं देगा बच्चों को किताब व ड्रेस, बजट नहीं का दिया हवाला

देहरादून। कैंट बोर्ड देहरादून को कंगाल करने में बाहरी किसी का हाथ नहीं है। बल्कि यहां के अधिकारियों ने ही इसे कंगाल कर दिया। वर्तमान में कैंट बोर्ड की माली हालात बेहद खराब है। यहां कार्यरत कर्मचारियों का बमुश्किल वेतन मिल रहा है। अब स्थिति ये है कि कैंट बोर्ड ने बच्चों के अधिकार पर ही डाका डाल दिया है। कैंट बोर्ड  ने बजट नहीं है का हवाला देते हुए सालों से कैंट स्कूलों में बच्चों को मुफ्त में दी जा रही किताबों व ड्रेस पर रोक लगा दी है। प्रेमनगर, डाकरा और गढ़ी में कैंट बोर्ड के स्कूल हैं।
ठोस निर्णय लेने कि नहीं है इच्छाशक्ति
कैंट बोर्ड के अधिकारी ठोस व कठोर निर्णय लेने से डरते हैं। वरना कैंट बोर्ड की आर्थिक स्थिति इतनी खराब नहीं होती। कैंट क्षेत्र में अवैध तरीके से वेडिंग प्वाइंट, अस्पताल, स्कूल, मोबाइल टॉवर आदि का सालों से संचालन हो रहा है। इसके अलावा अवैध निर्माण अधिकारियों के सह पर किया जा रहा है। कैंट बोर्ड के अधिकारी चाहे तो ठोस निर्णय लेते हुए राजस्व कमाई के हित में कोई नियम बनाते। ताकि इन सभी से टैक्स वसूला जा सके। लेकिन ऐसा नहीं हो पा रहा है। जो भी अधिकारी आते हैं वह कागजी कार्रवाई में ही उलझकर रह जाते हैं।
क्लेमेनटाउन समेत अन्य कैंट बोर्ड इससे बेहतर
क्लेमेनटाउन, लंढौर, चकराता समेत अन्य कैंट बोर्डों की माली हालात कैंट बोर्ड देहरादून से बेहतर है। राजस्व कमाई भी इन कैंटों बोर्डों की अच्छी खासी हो जाती है। क्योंकि वहां के अधिकारियों एवं कर्मचारियों में बेहतर करने की इच्छा शक्ति है। कैंट बोर्ड देहरादून के अधिकारी व कर्मचारी भी बेहतर करते हैं। जिसकी वजह से ये हमेशा ही चर्चा में रहते हैं। कभी सीबीआई की रेड पड़ती है तो कभी कार्यालय में हंगामा होता है।
खूब हो रही है खातीदारी
केहरी गांव में धड़ल्ले से अवैध निर्माण हो रहा है। इन निर्माणों पर कार्रवाई करने की बजाय मिलीभगत का काम चल रहा है। सूत्र ने बताया कि कैंट के एक स्टॉफ की आजकल खूब खातीदारी हो रही है। हाल ही में ये स्टॉफ केहरी गांव भी अपनी निजी कार से दौरे पर गया था। कार की कलर बताने की आवश्यकता नहीं है। क्योंकि कैंट बोर्ड के समस्त कर्मचारियों को इस कार की कलर के बारे में पता है। सूत्र ने बताया की एक कॉलेज के प्रबंधन से इस स्टॉफ की लंबी बातचीत हुई।

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