स्वास्थ्य

मोटी और भारी-भरकम तोंद से बढ़ जाता है डिमेंशिया का खतरा

यह खबर उन लोगों को निराश कर सकती है, जो भारी-भरकम तोंद के स्‍वामी हैं और इसे अपने खाते-पीते घर से होने का सबूत मानते हैं। एक अध्‍ययन में विशेषज्ञों ने दावा कि है कि मोटी तोंद वालों को अन्‍य के मुकाबले डिमेंशिया होने का खतरा अधिक होता है। कमर और कूल्‍हे का अनुपात जिन लोगों में अधिक होता उनमें दिमाग के क्षतिग्रस्‍त होने का खतरा अधिक होता है।
आयरलैंड के ट्रिनिटी कॉलेज ऑफ डबलिन में हुए अध्‍ययन में विशेषज्ञों ने कहा कि उम्र बढ़ने के साथ मोटी तोंद वाले लोगों में डिमेंशिया होने का खतरा अधिक होता है। उन्‍होंने बताया कि वैज्ञानिक मोटापा कमर और कूल्‍हे के अनुपात से तय करते हैं। यह अनुपात अधिक होने पर लोगों की याद रखने की क्षमता पर असर पड़ता है और इससे उनके मस्‍तिष्‍क में गिरावट आने लगती है। विशेषज्ञों का कहना है कि फैट का अधिक स्‍तर रक्‍त में उत्‍तेजना बढ़ाने वाले रसायनों का उत्‍पादन करता है, जो दिमाग की सेहत को क्षतिग्रस्‍त कर देता है। विशेषज्ञों ने इस नतीजे पर पहुंचने के लिए 5000 से अधिक लोगों के आंकड़ों का अध्‍ययन किया। इस शोध को डिमेंशिया के लिए किया गया अब तक का सबसे बड़ा अध्‍ययन बताया जा रहा है।
उन्‍होंने कहा कि इन नतीजों से पता चलता है कि मोटापे की दर को घटाकर डिमेंशिया पर कुछ हद तक काबू पाया जा सकता है। इससे 2020 तक दुनिया में 4.23 करोड़ लोगों के प्रभावित होने का अनुमान है। यह स्‍थिति मोटापे की वैश्‍विक समस्‍या के कारण और भी गंभीर हो सकती है। यह अध्‍ययन ब्रिटिश जर्नल ऑफ न्‍यूट्रिशन में प्रकाशित हो चुका है।

इस अध्‍ययन के लिए विशेषज्ञों ने 60 साल से अधिक उम्र के लोगों के कमर और कूल्‍हे के अनुपात और उनके दिमाग से जुड़े काम करने की क्षमता में संबंध का खुलासा किया। उन्‍होंने देखा कि इन प्रतिभागियों का दिमाग कितनी अच्‍छी तरह से काम कर रहा है।

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