पिटकुल में ट्रांसफार्मर घोटाले में एक और खेल
देहरादून। उत्तराखंड पावर ट्रांसमिशन कारपोरेशन (पिटकुल) में ट्रांसफार्मर घोटाले में एक और खेल हो गया। बड़े दबाव के बाद तो पहले आरोपी मुख्य अभियंता समेत चार अभियंताओं पर मार्च 2017 में निलंबन की कार्रवाई हुई, लेकिन अगले तीन माह बाद ही शासन ने घोटाले में शामिल चार अभियंताओं को बहाल कर दिया। इसमें अधिशासी अभियंता से लेकर मुख्य अभियंता तक शामिल है। खास बात यह है कि हरीश सरकार में हुए ट्रांसफार्मर घोटाले को भाजपा ने बड़े नेता रविंद्र जुगरान और विनय गोयल ने पुरजोर तरीके से उठाया था और इसके लिए आंदोलन भी छेड़ा था, लेकिन आज भाजपा की ही सरकार में इस मामले में एक और बहाली का खेल हो गया है। बगैर जांच पूरी हुए अभियंताओं की बहाली पर सरकार की मंशा पर सवाल उठ रहे हैं।
बता दें कि वर्ष 2014 में पिटकुल ने आईएमपी कंपनी से करीब 25 करोड़ के 20 ट्रांसफार्मर खरीदे थे। ट्रांसफार्मरों की गुणवत्ता को लेकर शुरू से सवाल उठ रहे थे। लेकिन 220 केवी उपकेंद्र झाझरा में लगा आईएमपी का 80 एमवीए का ट्रांसफार्मर बार-बार खराब होने पर घोटाले की आशंका बलवती हो गई। इस पर सवाल उठाए गए, लेकिन इस पर शासन और निगम प्रशासन ने कोई ध्यान नहीं दिया। लेकिन जैसे ही सरकार बदली तो अफसर पर हरकत में आ गए। तब प्रमुख सचिव ऊर्जा उमाकांत पंवार ने इस मामले की निगम के एमडी एसएन वर्मा को जांच के आदेश दिए।
दिलचस्प बात यह है कि पिटकुल में ट्रांसफार्मर की खरीद के बाद अधिकारियों ने गुपचुप तरीके से IMP कम्पनी को निगम में रखी 5 करोड़ 45 लाख की बैंक गारंटी भी लौटा दी है। जांच में यह भी पता चला कि कतिपय विभागीय अधिकारियों ने अपने दायित्वों का ठीक ढंग से निर्वहन नहीं किया। ट्रांसफार्मर खरीद के दौरान उनकी टेस्टिंग में बरती गई लापरवाही भी उजागर हुई। इससे न सिर्फ निगम को वित्तीय नुकसान हुआ, बल्कि बिजली आपूर्ति भी बाधित रही। निगम के एमडी ने बताया कि यह प्रारंभिक जांच है पूरी जांच में अभी कई तथ्य सामने आ सकते हैं। इसके बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।
जिन अभियंताओं को निलंबित किया गया है उनमें मुख्य अभियंता गढ़वाल अजय कुमार अग्रवाल, अधीक्षण अभियंता राकेश कुमार, अधिशासी अभियंता राजेश कुमार गुप्ता व लक्ष्मी प्रसाद पुरोहित शामिल है। इसके अलावा मुख्य अभियंता क्रय एवं अनुबंध अनिल कुमार को मुख्य अभियंता परियोजना कुमाऊं हल्द्वानी में स्थानांतरित कर दिया गया था, ताकि जांच में हेराफेरी न हो सके। लेकिन दो दिन पूर्व आरोपी चारों अभियंताओं को शासन ने गुपचुप तरीके से बहाल कर दिया।
खास बात यह है कि कांग्रेस सरकार में ट्रांसफार्मर घोटाले का मामला भाजपा ने पुरजोर तरीके से उठाया था, लेकिन उनकी ही सरकार में इस घोटाले में एक और खेल हो गया। बिना जांच हुए ही गुपचुप तरीके से अभियंताओं को बहाल करके शासन की मंशा पर तो सवाल उठ ही रहे हैं, सरकार की कार्यशैली पर सवालिया निशान लग रहे हैं।