राष्ट्रीय

एक बेटी की गलती बाप पर पड़ी भारी

नई दिल्ली  । 1839 में मशहूर उपन्यासकार और नाटककार एडवर्ड बुलर लिटन ने ऐतिहासिक नाटक कार्डिनल रिकेलियेयू में लिखा कि तलवार से ज्यादा शक्तिशाली कलम होती है। लेकिन आज 21वीं सदी के डिजिटल युग में कहा जा सकता है कि अब तलवार से ज्यादा शक्तिशाली फॉन्ट है। आपको लग रहा होगा कि ऐसा क्या है कि बुलर लिटन के कथन का मूल भाव तो वही है। लेकिन पेन की जगह अब फॉन्ट ने ले लिया है। दरअसल इस सवाल का जवाब पाक पीएम नवाज शरीफ की बेटी मरियम नवाज दे सकती हैं।

दस्तावेज और फॉन्ट का संबंध

पनामगेट के संबंध में जेआइटी को जो दस्तावेज सौंपे गए, उसके बाद हाल के दिनों में पाकिस्तान की राजनीति गरमा गई थी। आखिरकार यह मरियम की यह गलती नवाज शरीफ को भारी पड़ी और सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें दोशी मानते हुए केस चलाने की बात कही। इसी के साथ उनकी प्रधानमंत्री की कुर्सी भी जाती रही। आइए आपको बताते हैं कि पूरा मामला क्या है? पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित जेआइटी को मरियम शरीफ से जाली दस्तावेजों के जरिए गुमराह करने की कोशिश की थी। मरियम ने पनामागेट से संबंधित जो दस्तावेज भेजे थे वो कैलिबरी फॉन्ट में टाइप थे और 31 जनवरी 2007 के पहले के थे। जबकि कैलिबरी फॉन्ट 31 जनवरी 2007 से पहले व्यावसायिक प्रयोग के लिए उपलब्ध नहीं था।

कैलिबरी फॉन्ट का रोचक इतिहास

कैलिबरी फॉन्ट के चर्चा में आने का रोचक इतिहास है। इसमें रियल इटैलिक्स, स्माल कैप्स और मल्टीपल न्यूमरल सेट होता है। वार्म एंड सॉफ्ट कैलिबरी को 2004 में लुकास डी ग्रूट ने डिजाइन किया था। एमएस ऑफिस 2007 और विंडोज विस्टा के लांच के मौके पर कैलिबरी आम लोगों को 30 जनवरी 2007 को उपलब्ध हुआ। एमएस वर्ड में टाइम्स न्यू रोमन और माइक्रो सॉफ्ट पावर प्वाइंट, एक्सेल, आउट लुक और वर्डपैड में एरियल की जगह डिफॉल्ट के तौर पर कैलिबरी ने जगह ली। स्क्रीन पर दमदार दिखने वाली कैलिबरी फॉन्ट का एमएस ऑफिस के सभी वर्जन में 2016 तक इस्तेमाल में आती रही।

जेआइटी द्वारा संदेह जताए जाने के बाद सोशल मीडिया में मरियम नवाज शरीफ की जमकर आलोचना हुई। एक ट्विटर यूजर ने जेआइटी के बयान के स्क्रीन शॉट भी लगाए जिस पर विवाद उठ खड़ा हुआ है।

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