उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री सैनी की पत्नी की अपील खारिज
देहरादून: उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री साहब सिंह सैनी की पत्नी रीता सैनी को जमीन सरकार में निहित किए जाने के मामले में कमिश्नर कोर्ट से भी राहत नहीं मिल पाई। कोर्ट ने जमीन खरीद में गड़बड़झाला पाते हुए रीता सैनी की अपील खारिज कर दी।
रीता सैनी ने मिलीभगत कर अनुसूचित जनजाति के तुलाराम और जगतराम से प्रेमनगर के पास केहरी गांव में जमीन खरीदी थी। प्रशासन की जांच में इसका खुलासा होने पर एसडीएम सदर ने जमीन को पहले प्रारंभिक रूप से सरकार में निहित कर सुनवाई शुरू की और फिर पूर्ण रूप से भूमि को सरकार में निहित कर दिया। इस आदेश के खिलाफ रीता सैनी ने कमिश्नर कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
प्रकरण की अंतिम सुनवाई में सरकार की तरफ से राजस्व के जिला शासकीय अधिवक्ता विनोद डिमरी, जबकि रीता सैनी की तरफ से अधिवक्ता प्रेमचंद शर्मा ने जिरह की। वहीं, तुलाराम व जगतराम की तरफ से अरुण सक्सेना ने तर्क रखे। गढ़वाल कमिश्नर ने सभी पक्षों की जिरह सुनने के बाद पाया कि मिलीभगत कर यह जमीन खरीदी गई है।
क्योंकि जमींदारी विनाश अधिनियम की धारा 157-ख के मुताबिक अनुसूचित जनजाति से इतर के व्यक्ति उनकी भूमि नहीं खरीद सकते। हालांकि, रीता सैनी ने अपील में यह कहा था कि उन्हें जानकारी नहीं थी कि विक्रेतागण अनुसूचित जाति के हैं। मंडलायुक्त ने यह कहकर इस बात को खारिज किया कि जमीन की खरीद अच्छी तरह जांच-परखकर की जानी चाहिए। इसमें कानूनी भूल व त्रुटि क्षम्य नहीं है।