उत्तराखण्ड

सफाई मामले में देहरादून को 1900 में से मिले 752 नंबर

देहरादून: एक दौर था, जब दून स्वच्छ आबोहवा के लिए जाना जाता था और आज का दिन है कि स्वच्छता के मोर्चे पर दून औंधे मुंह गिर गया। राजधानी बनने के बाद दून की तस्वीर सुधरने की बजाय दिनोंदिन बिगड़ती चली गई।

स्मार्ट सिटी की दौड़ में दून तीन बार पिछड़ चुका है और स्वच्छ भारत मिशन के तीसरे स्वच्छता सर्वेक्षण में भी पिछड़े शहरों की कतार में खड़ा है। स्वच्छता के मोर्चे पर दून की स्थिति का आंकलन इस बात से ही किया जा सकता है कि हमारे शहर का प्रदर्शन पासिंग मार्क से कुछ ही आगे बढ़ पाया है। सर्वेक्षण में दून को 1900 में से महज 752 यानी 39.57 फीसद अंक ही नसीब हुए।

दून की सफाई व्यवस्था का आंकलन नगर निगम के स्वयं के आंकलन, केंद्रीय टीम के धरातलीय निरीक्षण और जनता की राय के आधार पर किया गया। इस आधार पर देखें तो दून को सबसे कम अंक केंद्रीय टीम के धरातलीय निरीक्षण में मिले हैं। निरीक्षण टीम ने शहर को महज 27.92 फीसद अंक दिए।

जनता की राय के आधार पर 34.97 फीसद अंक मिले हैं। स्वयं के आंकलन में ही नगर निगम को सर्वाधिक अंक प्राप्त हो पाए हैं, लेकिन निगम भी खुद को 40.69 फीसद से अधिक नंबर नहीं दे पाया। इससे भी पता चलता है कि अपनी सफाई व्यवस्था को लेकर खुद नगर निगम भी संतुष्ट नहीं है।

दून को मिले नंबर

कुल अंक: 752

स्वयं का आंकलन: 900 में से 306

जनता की राय पर: 600 में से 210

केंद्रीय निरीक्षण में: 500 में से 210

सेवाओं में दून की तस्वीर

-कूड़ा उठान व ढुलान: दून को मिले 217 नंबर और राज्य में सर्वाधिक 247 अंक काशीपुर को मिले हैं।

-कूड़ा प्रबंधन/निस्तारण: दून को मिले 41 अंक और सर्वाधिक 53 नंबर हरिद्वार को मिले हैं।

जनता की कसौटी पर दून फिसड्डी

किसी भी संस्थान की सबसे बड़ी कसौटी होती है जनता की राय और इस मोर्चे पर अपना दून देश के तमाम शहरों से मुकाबला करना तो दूर अपने ही राज्य के शहरों के सामने नहीं टिक पाया। जनता की राय में दून को 236 नंबर मिले हैं और ओवरऑल नंबरों में सबसे पिछड़े हल्द्वानी शहर को भी जनता की कसौटी पर 244 अंक मिले हैं। जबकि राजधानी होने के नाते दून को सभी के लिए आदर्श स्थापित करने वाला होना चाहिए था। यह स्थिति तब है जब राज्य के सात शहरों में दून ओवरऑल प्रदर्शन में सिर्फ रुड़की, हरिद्वार और काशीपुर से ही पीछे है। साफ है कि जिस तरह से दून में जन दबाव बढ़ रहा है, हमारी सरकार उसके मुताबिक संसाधन जुटाने में नाकाम साबित हुई है।

खुले में शौच मुक्त में दून के 20 नंबर

एक तरफ हमारा दून शहरीकरण में मेट्रो शहरों से कदमताल कर रहा है और दूसरी तरफ खुले में शौच से मुक्त (ओडीएफ) होने की दिशा में हालात अभी भी बदतर नजर आ रहे हैं। दून को इस बिंदु में महज 20 अंक मिले हैं और यह प्राप्त नंबरों में सबसे कम भी है।

जबकि इस मामले में नैनीताल को सबसे अधिक 120 अंक मिले हैं। ओडीएफ में दून को मिले नंबर अप्रत्याशित नहीं हैं, बल्कि वास्तव में खुद मेयर विनोद चमोली भी मानते हैं कि इस मोर्चे पर सुधार की अभी बहुत जरूरत है। नगर निगम के रेकॉर्ड बताते हैं कि करीब 3000 घरों में शौचालय निर्माण किया जाना अभी बाकी है और इतनी ही संख्या में शौचालय निर्माण के आवेदन निगम को मिले हैं। कूड़ा उठान की दिशा में देहरादून नगर निगम के नंबर कुछ अधिक नजर आते हैं, लेकिन उठान के बाद निस्तारण को लेकर यह ग्राफ फिर लुढ़क जाता है।

समान प्रकृति वाले राज्य कोसों आगे

शहरी विकास मंत्रालय ने स्वच्छता सर्वेक्षण की रैंकिंग में राज्य का आंकलन उनकी समान प्रकृति वाले राज्यों के शहरों से भी किया है। मंत्रालय ने उत्तराखंड का आंकलन पड़ोसी हिमाचल प्रदेश के शहर शिमला समेत गंगटोक, लेह, आइजॉल व इंफाल से किया है। उत्तराखंड में जो शहर अग्रणी भूमिका में भी है, वह भी इन शहरों के आगे कहीं नहीं टिकते।

समान प्रकृति वाले शहरों की तस्वीर

शहर——–रैंक——-कुल अंक

शिमला——–47——–1438

गंगटोक——————-1414

लेह————100——-1237

आइजॉल——105——-1222

इंफाल——–122———1192

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