9 दिन क्यों नहीं होती नवदुर्गा की पूजा
भगवती मां देवी दुर्गा को शक्ति का प्रतीक माना जाता है। मान्यता है कि वही इस चराचर जगत में शक्ति का संचार करती हैं। उनकी आराधना के लिए ही साल में दो बार बड़े स्तर पर लगातार नौ दिनों तक उनके अनेक रूपों की पूजा की जाती है। 9 दिनों तक मनाए जाने वाले इस पर्व को नवरात्र कहा जाता है जिसके दौरान माता के विभिन्न रूपों की पूजा-आराधना की जाती है। इन नवरात्र को चैत्र नवरात्र और शारदीय नवरात्र के नाम से भी जाना जाता है लेकिन साल में दो नवरात्र ऐसे भी आते हैं जिनमें मां दुर्गा की दस महाविद्याओं की पूजा की जाती है।
हालांकि यह साधना चैत्र और शारदीय नवरात्र से कठिन होती है, लेकिन इस साधना के परिणाम बड़े आश्चर्यचकित करने वाले मिलते हैं। तंत्र विद्या में विश्वास रखने वाले तांत्रिकों के लिए ये नवरात्र बहुत खास माने जाते हैं। इस दौरान मां की आराधना गुप्त रूप से की जाती है, इसलिए इन्हें ‘गुप्त नवरात्र’ भी कहा जाता है। गुप्त नवरात्र की जानकारी अधिकतर उन लोगों को होती है जो तंत्र साधना करते हैं।
मान्यतानुसार गुप्त नवरात्र के दौरान भी पूजा अन्य नवरात्र की तरह ही करनी चाहिए। नौ दिनों तक व्रत का संकल्प लेते हुए प्रतिपदा को घटस्थापना कर प्रतिदिन सुबह-शाम मां दुर्गा की पूजा की जाती है। अष्टमी या नवमी के दिन कन्याओं के पूजन के साथ व्रत का उद्यापन किया जाता है। वहीं तंत्र साधना वाले साधक इन दिनों में माता के नवरूपों की बजाय दस महाविद्याओं की साधना करते हैं। ये दस महाविद्याएं मां काली, तारा देवी, त्रिपुरसुंदरी, भुवनेश्वरी, माता छिन्नमस्ता, त्रिपुरभैरवी, मां धूमावती, माता बगलामुखी, मातंगी और कमला देवी हैं। साधकों से अनुरोध है कि तंत्र की साधना किसी योग्य साधक के मार्गदर्शन अथवा अपने गुरु के निर्देशन में ही करें। यदि साधना सही विधि से न की जाए तो इसका प्रतिकूल प्रभाव भी साधक पर पड़ सकता है।