नई दिल्ली। Lok Sabha Elections 2019 कोलकाता में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के रोड शो के दौरान मंगलवार को हुई हिंसा के बाद निर्वाचन आयोग द्वारा पश्चिम बंगाल में आज रात दस बजे से चुनाव प्रचार प्रतिबंधित करने के आदेश पर विपक्ष ने करारा हमला बोला है। चुनाव आयोग के फैसले को ममता बनर्जी ने पक्षपातपूर्ण तो कांग्रेस ने भाजपा के पक्ष में चुनावी गिफ्ट बताया है। वहीं बसपा ने चुनाव आयोग को केंद्र के इशारों पर काम करने का आरोप लगाया है।
आरएसएस द्वारा संचालित किया जा रहा निर्वाचन आयोग
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने चुनाव आयोग के फैसले को असंवैधानिक, असंवैधानिक, गैर-कानूनी, पक्षपातपूर्ण और अनैतिक बताते हुए आरोप लगाया है कि चुनाव आयोग के पास हमने कई शिकायतें कीं लेकिन उसने कोई कार्रवाई नहीं की। चुनाव आयोग भाजपा अध्यक्ष अमित शाह से डरा हुआ है और उन्हीं के इशारे पर उसने यह फैसला लिया है। ममता ने यह भी कहा कि मैंने ऐसा चुनाव आयोग पहले न कभी देखा और न ही सुना है। बंगाल में कानून-व्यवस्था की कोई समस्या नहीं है। यह फैसला चुनाव आयोग का नहीं बल्कि मोदी का है। चुनाव आयोग को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा संचालित किया जा रहा है।
केंद्र सरकार के इशारों पर काम कर रहा चुनाव आयोग
बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा कि पश्चिम बंगाल में हो रही हिंसा के पीछे भाजपा और आरएसएस हैं। चुनाव आयोग केंद्र सरकार के इशारों पर काम कर रहा है। ममता बनर्जी को जानबूझकर टारगेट किया जा रहा है। उन्होंने सवाल उठाया कि बंगाल में चुनाव प्रचार पर रोक लगानी ही थी तो मोदी की प्रस्तावित दो रैलियों के बाद रोक क्यों लगाई। गुरु (मोदी) और चेले (अमित शाह) हाथ धोकर ममता बनर्जी के पीछे पड़े हैं जो न्याय संगत नहीं है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को यह शोभा नहीं देता है। ममता बनर्जी ने कहा कि इस मुख्य चुनाव आयुक्त के रहते चुनाव हुए फ्री एंड फेयर नहीं हो पा रहा है। लोकतंत्र को आघात पहुंच रहा है। यह बहुत ही शर्मनाक और निंदनीय है।
आदर्श आचार संहिता अब बन गई मोदी संहिता
कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि ऐसा लगता है कि आदर्श आचार संहिता अब मोदी संहिता बन गई है जिसका इस्तेमाल विपक्ष की आवाज को दबाने में किया जा रहा है। चुनाव आयोग का यह आदेश मोदी जी की पार्टी के लिए चुनावी गिफ्ट है। चुनाव आयोग ने 24 घंटे बाद ही ऐसा आदेश क्यों जारी किया। निर्वाचन आयोग ने नरेंद्र मोदी और अमित शाह पर कार्रवाई क्यों नहीं की। शिकायत के बावजूद नमो टीवी पर कार्रवाई क्यों नहीं की गई। क्या चुनाव आयोग मोदी जी के हितों को साध रहा है। देश में निष्पक्ष चुनाव की प्रक्रिया खतरे में है। आयोग का फैसला कानूनी तौर पर गलत है। ऐसा लगता है कि निर्वाचन आयोग नरेंद्र मोदी के दरबार में डरा सहमा है।
सरकार और विपक्ष के लिए अलग-अलग कानून
डीएमके प्रमुख एम. के. स्टालिन ने निर्वाचन आयोग पर निशाना साधते हुए कहा कि इलेक्शन कमीशन ने सरकार और विपक्ष के लिए अलग-अलग कानून बना रखा है। पश्चिम बंगाल की नौ लोकसभा सीटों पर पूर्व निर्धारित समय से पहले चुनाव प्रचार पर प्रतिबंध लगाने का फैसला निंदनीय है। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि भाजपा ने तमिलनाडु में पेरियार की और अब पश्चिम बंगाल में ईश्वर चंद्र विद्यासागर की प्रतिमा तोड़ी है।
पहला मौका जब आयोग ने किया अनुच्छेद-324 का इस्तेमाल
निर्वाचन आयोग ने बुधवार को कानून व्यवस्था की बिगड़ती स्थिति का हवाला देते हुए पश्चिम बंगाल में 16 मई को रात दस बजे से ही चुनाव प्रचार प्रतिबंधित कर दिया था। साथ ही पश्चिम बंगाल के गृह सचिव अत्रि भट्टाचार्य को सेवामुक्त कर उनका प्रभार राज्य के मुख्य सचिव को सौंपने का आदेश दिया था। इसके अलावा पश्चिम बंगाल की खुफिया शाखा (सीआईडी) के अतिरिक्त महानिदेशक राजीव कुमार को सेवा मुक्त करते हुए केंद्रीय गृह मंत्रालय से संबद्ध कर दिया था। संभवत: देश में पहला मौका जब आयोग को संविधान के अनुच्छेद 324 के तहत इस तरह की कार्रवाई करनी पड़ी हो।