कैंट बोर्ड की अनोखी पहल: इस बैंक में पॉलीथीन कचरा जमा करने पर मिलेगा पैसा
देहरादून, जन केसरी। कैंट बोर्ड देहरादून ने अपने क्षेत्र में एक अनोखी पहल की शुरुआत की है। इस पहल के तहत अगर आप कैंट बोर्ड द्वारा बनाये गए पॉलीथीन कचरा बैंक में पॉलीथिन देते हैं तो आपको उसके बदले पैसा दिया जाएगा।
स्वच्छता ही सेवा अभियान के तहत कैंट बोर्ड ने इस अनोखी पहल की शुरुआत की। जिसका शुभारंभ मंत्री प्रेमचंद्र अग्रवाल, डिप्टी जीओसी ब्रिगेडियर अनिबर्न दत्ता, कैंट बोर्ड देहरादून के सीईओ अभिनव सिंह आदि ने संयुक्त रूप से किया। कैंट बोर्ड के सीईओ अभिनव सिंह ने बताया कि पॉलीथीन कचरा बैंक का शुभारंभ बिंदाल स्थित पुलिस चौकी के सामने किया गया है। साथ ही राजभवन के सामने और प्रेमनगर में कैंट उप कार्यालय में भी किया गया है।। उन्होंने बताया कि अगर कोई व्यक्ति पॉलीथीन, बिस्कुट-चिप्स के रैपर, प्लास्टिक के कट्टे आदि का कचरा देता है तो उसे प्रतिकिलो 3 रुपये दिए जाएंगे।
पॉलीथीन कचरा बैंक में जमा करने की अपील
सीईओ अभिनव सिंह ने कैंट क्षेत्रवासियों समेत अन्य लोगों से अपील करते हुए कहा कि वह इस बैंक में कचरा जमा कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि वह पहले अपने घर में इस कचरे को एकत्रित करें। इधर उधर ना फेंके। ज्यादा होने पर बैंक में जमा कर दें। उन्होंने बताया कि आने वाले समय में इसको डिजिटल से भी लिंक किया जाएगा।
कैंट बोर्ड के स्कूलों से प्राप्त कर सकते हैं पेंसिल
सीईओ अभिनव सिंह ने बताया कि परिजन अपने बच्चों के माध्यम से पॉलीथीन कचरा कैंट स्कूलों में भी जमा करा सकते हैं। यहां पॉलीथीन कचरा जमा करने पर बच्चों को मुफ्त में पेंसिल समेत अन्य पाठ्यसामग्री दी जाएगी। सीईओ ने कैंट क्षेत्रवासियों समेत देहरादून के लोगों से अपील करते हुए कहा कि वह इस बैंक में कचरा जमा कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि वह पहले अपने घर में इस कचरे को एकत्रित करें। इधर उधर ना फेंके। वो स्वयं आकर जमा कर सकते हैं या किसी गरीब व्यक्ति/कूड़ा बीनने वाले को /सफाईकर्मचारी को भी दे सकते हैं। जो उसे कचरा बैंक को बेचकर कुछ धन कमा सकेगा। उन्होंने बताया कि आने वाले समय में इसको डिजिटल ऐप से भी लिंक किया जाएगा। जिसमें जमाकर्ता अपना जमा किए गए कचरे का पूरा बैलेंस देख पाएंगे और एक साथ कैंट बोर्ड से भुगतान ले सकेंगे। उन्होंने बताया कि इस पहल से जानवरों को भी फायदा मिलेगा। क्योंकि वो खाने की वस्तुओं के साथ-साथ कूड़े में पड़े पॉलीथीन को भी खा जाती हैं। जिससे उनकी मृत्यु हो जाती थी।