इस सुसाइड नोट ने कैंट बोर्ड के अधिकारियों में मचा दी हड़कंप
कैंट के कर्मचारी कैंट बोर्ड प्रशासन से हैं परेशान
देहरादून। जब कोई सिस्टम से लाचार हो जाता है और उसके पास जीने का कोई और रास्ता दिखाई नहीं देता है तो वे मजबूर होकर ऐसा सख्त कदम उठाने की हिम्मत करता है। हालांकि किसी भी सूरत में ऐसा कदम नहीं उठाने चाहिए। कैंट बोर्ड गढ़ी देहरादून के अधिकारियों एवं कर्मचारियों में हड़कंप तब मच गया जब यहां कार्यरत एक कर्मचारी ने मजबूरी में अपनी पीड़ा को सुसाइड नोट में बयां करते हुए अधिकारियों को भेजा। सुसाइड नोट पढ़ने के बाद अधिकारियों के साथ ही कर्मचारियों में हड़कंप मच गया। आनन-फानन में कैंट बोर्ड के अधिकारी मामले को सुझलाने में जुट गए। इधर, ये सुसाइड नोट कुछ ही घंटों बाद सोशल मीडिया पर वायरल हो गया।
दीपक गुरुंग के नाम से एक सुसाइड नोट सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। जिसमें दीपक गुरुंग द्वारा अपनी पीड़ा को बयां करते हुए कुछ लोगों पर नौकरी से हटाने और दो माह का वेतन नहीं दिये जाने का आरोप लगाया जा रहा है। इधर, मंगलवार को कैंट बोर्ड के अधिकारी एवं कर्मचारी दीपक गुरुंग से बातचीत करने के प्रयास में जुटे रहे। सुसाइड नोट की सच्चाई की पुष्टि जन केसरी न्यूज पोर्टल नहीं करता है।
शिक्षकों में भारी आक्रोश
पिछले कई माह से कैंट बोर्ड के कर्मचारियों को समय से वेतन नहीं मिल रहा है। जिसके चलते उन्हें तमाम तरह की परेशानियां हो रही है। इधर, कैंट बोर्ड द्वारा संचालित स्कूलों में अपनी सेवा दे रहे शिक्षकों में भारी आक्रोश है। ज्यादातर शिक्षकों का कहना है कि वे संविदा पर कार्यरत हैं। वेतन भी बहुत कम मिलता है। ये वेतन भी समय से नहीं मिल रहा है। परिवार चलाना भी मुश्किल हो गया है। उन्होंने कहा कि हर माह कर्ज लेनी की नौबत आ रही है। यही स्थिति रही तो आने वाले समय में शिक्षक भी ऐसा कदम उठाने को मजबूर होंगे। जिसकी समस्त जिम्मेदारी कैंट बोर्ड प्रशासन और ठेकेदार की होगी। जिसके माध्यम से शिक्षकों की नियुक्ति हुई है।
तो ठेकेदार कर रहा है बदमाशी
शिक्षकों को समय से वेतन नहीं मिल रहा है। इसमें प्रथम दृष्टया ठेकेदार की बदमाशी व लापरवाही है। क्योंकि ठेकेदार द्वारा कैंट बोर्ड में ठेका लेने से पहले एक हैसियत प्रमाण पत्र जमा किया जाता है। इसका ये मतलब होता है कि ठेकेदार को कैंट बोर्ड कैसे और किस रूप में पैसा देगा उससे शिक्षकों का कोई लेनादेना नहीं होता है। शिक्षकों को समय से वेतन देने की जिम्मेदारी ठेकेदार (शिक्षक की नियुक्ति करने वाली कंपनी) की है।