युवाओं और बच्चों के सिर चढ़कर बोला पतंगबाजी का जुनून
रुड़की। निगाहें आसमान को उठी हुई और मुंह पर ‘ओह गई’ की किलकारी के साथ भंगड़े, जोश और रोमांच भरी यह महफिल नगर की लगभग हर छत पर लगी और वो भी एक-दो घंटा नहीं बल्कि सुबह से देर शाम तक। सब कुछ भूलकर-छोड़कर नगर निवासियों ने खूब पतंगबाजी की। मौका था बुधवार को बसंत पंचमी पर्व का। जिसे रुड़की नगर में उल्लास और उमंग के साथ पतंगबाजी करके मनाया गया।
आकाश में छाने को बाजी मारने की सनक में लोगों ने सुबह आठ बजे से ही पतंगबाजी शुरू कर दी। इसके साथ ही डीजे का आनंद लिया। बच्चा, जवान, बुजुर्ग और क्या युवती, हर किसी ने पतंगबाजी का लुत्फ उठाया। पतंग काटते ही चीखो-पुकार के साथ जश्न मनाया जाता। अगर पतंग कट जाती तो मायूस होने की बजाए और नए जोश के साथ दूसरी पतंग आकाश पर चढ़ा देते। सुबह की चाय, नाश्ता, दोपहर का खाना और शाम की चाय तक छतों पर ही हुआ। नव विवाहित जोड़ों ने भी एक साथ खूब पतंगबाजी की।
पतंगों की बारिश
आसमां से धड़ाधड़ पतंग बरसते रहे, पर पतंगबाजी के धुरंधरों की ललक इन्हें लूटने-समेटने की बजाए पतंग उड़ाने में रही। आकाश ही नहीं बल्कि गली, चौराहे, सड़कों, तारों, खंबों और पेड़ों तक रंगबिरंगे पतंगों का वर्चस्व रहा। सिविल लाइंस, रामनगर, बीएसएम तिराहा, रेलवे स्टेशन रोड, मालवीय चौक, सैनिक कॉलोनी, अंबर तालाबा, नेहरू स्टेडियम आदि जगहों में पतंगबाजी का सैलाब उमड़ा।