बिहार

देश की चर्मराती अर्थव्यवस्था और बढती महगाई, क्या यही है अच्छे दिन?

खबरीलाल रिपोर्ट :

जिन्हें हम हार समझे थे, गला अपना सजाने को।

वही अब सांप बन बैठे, हमे ही काट खाने को ।।

उपर्युक्त पंक्तियां आज के परिदृश्य में एक दम सही बैठती हैं। आज जिस दिशा में देश जा रहा है उसे देखते हुए प्रत्येक नागरिक शायद उपर्युक्त पंक्तियों को समझे और खुद को कोसे की जिन्हें हमने अपने लिए , अपने धर्म की रक्षा के लिए, अपने मन्दिर-मठों की रक्षा के लिए, रोजगार के नए अवसर उत्पन्न करने के लिए, मूल्य वृद्धि रोकने के लिए भावुक होकर चुना था वह भाजपा पार्टी सभी क्षेत्रों में पूरी तरह विफल साबित हो रही है। अभी तक न तो काला धन विदेशों से वापस आया और न ही 15 लाख प्रत्येक के खाते में आये अपितु कुछ नामचीन उद्योगपति अरबों-खरबों की चपत देकर देश छोड़ चले गए और अब शायद ही सरकार की पकड़ में आये। आज स्थिति ऐसी हो गई है कि जो रुपया एक समय डॉलर के बराबर था आज वही रुपया डॉलर के मुकाबले सबसे निम्नतम स्तर तक पहुंच गया है यानी एक डॉलर बराबर 70-71 रुपया। इससे आप अनुमान लगा सकते हैं कि देश की अर्थ व्यवस्था की स्थिति किस तरह चरमरा रही है। देश मे पढ़े लिखे इंजीनियर, प्रबंधन के विद्यार्थी व अन्य बेरोजगार घूम रहे हैं। जीएसटी ने लाखों लोगों के रोजगार को निगल लिया साथ मे  दो वर्ष गुजर गए अभी तक नोट बन्दी के फायदे सरकार गिना नहीं पाई। 

दिनों दिन पेट्रोल और डीजल का रेट बढ़ते ही जा रहा है जो सीधे असर बाजार पर हो रहा है और इसमें पिस रहे हैं माध्यमवर्गी लोग। जो सरकार हिंदुत्त्व को मुद्दा बनाकर राज सिंहासन पर बैठी वही हिंदुओं के साथ छल कर बैठी। काशी में मंदिर तोड़े गए तथा देश के अन्य राज्य में भी मन्दिर तोड़े गए नाम दिया गया “विकास”। विकास के लिए हिंदुओं के पूजा स्थल, एकता का स्थल, पौराणिक मंदिर आदि को विकास नाम की चिड़िया चुग गई और राज सिंहासन पर बैठी हिंदुत्त्ववादी सरकार इस गंभीर विषय पर मौन साधी हुई है और तुष्टिकरण में व्यस्त है।

जिस देश के सर्वोच्च न्यायालय ने एसटी-एससी एक्ट पर फैसला दे दिया उसे सरकार ने केवल तुष्टिकरण और वोट की राजनीति हेतु अध्यादेश लाकर बदल दिया जिससे आज सम्पूर्ण सवर्ण वर्ग नाराज हैं और देश के सभी कोने से आवाज उठा रहे हैं। इससे सरकार क्या साबित करना चाह रही है कि हम न्यायालय से भी बड़े हैं। क्या संदेश अन्य देशों में गया इसका भी चिंतन शायद ही सरकार में बैठे लोगों ने किया। जब आपने एक वर्ग को संतुष्ट करने के लिए एक्ट को अध्यादेश लाकर बदल दिए तो राम मंदिर के मुद्दे के लिये क्यों एवं किसलिए सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का इंतजार हो रहा है? जब पूर्ण बहुमत से देश की जनता ने हिंदुत्त्ववादी सरकार को राजसिंहासन सौंपा तो राममंदिर मुद्दे को भी अध्यादेश लाकर रामजन्मभूमि में ही मंदिर बनवा दे ताकि करोड़ों सनातन धर्मी आप को आशीर्वाद दे। लेकिन यह होगा नहीं क्योंकि सरकार को मालूम है कि हिन्दू संगठित नहीं है और इनमें ही डिवाइड एंड रूल पद्धति से राज करना संभव है।

जिस साईं के बारे में धर्म सम्राट ज्योतिष एवं द्वारका शारदा पीठ के पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी ने बयान दिया था और हिंदुओं को उनकी पूजा करने से रोकने की कोशिश की थी कि वे मुस्लिम हैं तो कैसे भाजपा और संघ के नेता साईं मन्दिर में माथा टेक रहे हैं ? क्या इतना भी इल्म हिंदुत्त्ववादी सरकार को नही है की हमे हिन्दू देवी देवताओं की ही आराधना करनी चाहिए ? क्या हिंदुत्त्ववादी सरकार अब सेक्युलर हो गई है या यह भी उनकी वोट के लिए चुनावी रणनीति है। देश के प्रधान सेवक विश्व के अधिकतर देश घूम आये पर आज तक उन्हें अयोध्या जाने का सौभाग्य प्राप्त नहीं हुआ। कम से कम देख कर आते कि किस तरह हम सबके आराध्य रामलला तिरपाल के नीचे दिन व्यतीत कर रहे हैं। माँ गंगा ने बुलाया है पर चार वर्ष से ऊपर हो गए माँ गंगा जैसे थी वैसे ही है, कोई परिवर्तन नहीं हुआ और न ही वाराणसी क्वेटो बना। 

क्या देश के जनता के साथ धोखा नहीं हुआ ? क्या देश की जनता ने नेताओं को पहचानने में गलती नहीं की ? देश पूछ रहा है – धारा 370 कब हटेगी ? कब मन्दिर-मठों को संरक्षित किया जाएगा ? कब रुपया डॉलर के मुकाबले मजबूत होगा ? कब राम मंदिर का निर्माण होगा ? कब कालेधन को वापस लाया जाएगा ? कब 15 लाख प्रत्येक के खाते में जमा होंगे ? कब तुष्टिकरण की राजनीति बन्द होगी ? कब तक देश को जातीवाद में बांटते रहोगे ? कब महंगाई कम होगी ? कब निजी स्कूल और महाविद्यालयों पर नकेल कसे जाएंगे ? कब सनातन धर्म की सही तरीके से रक्षा होगी ? कब तक महिलाओं के ऊपर जुल्म होता रहेगा ? कब तक छोटी बच्चियों पर कुकृत्य बन्द होगा ? ऐसे बहुत से और सवाल हैं जिसका सदुत्तर सिंहासन पर बैठी हिंदुत्त्ववादी सरकार को देना होगा।

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