अजब-गजब

“नरक का दरवाजा” , सोवियत संघ का टॉप सीक्रेट

पूर्व में सोवियत संघ में शामिल रहे तुर्कमेनिस्तान के उत्तर में एक बड़ा-सा गड्ढा है जिसे ‘गेट्स ऑफ़ हेल’ यानी ‘नरक का दरवाज़ा’ कहा जाता है.

तुर्कमेनिस्तान के 70% हिस्से में काराकुम रेगिस्तान है. 3.5 लाख वर्ग किलोमीटर के इस रेगिस्तान के उत्तर की तरफ गेट क्रेटर यानी दरवाज़ा क्रेटर नाम का बड़ा-सा गड्ढा है.इस गड्ढे के बारे में कनाडाई एक्सप्लोरर जॉर्ज कोरोनिस ने बीबीसी को बताया “जब मैंने पहली बार इसे देखा और इसके पास की ज़मीन पर मैंने पैर रखा तो इस गड्ढे से आने वाली गर्म हवा सीधे मेरे चेहरे पर लग रही थी. मुझे लगा कि ये ऐसी जगह है जिसमें से शैतान खुद हाथों में हथियार लिए निकला होगा.”69 मीटर चौड़े और 30 मीटर गहरे इस गड्ढे में बीते कई दशकों से आग धधक रही है, लेकिन इसका कारण शैतान नहीं बल्कि इससे निकलने वाली प्राकृतिक गैस (मीथेन) है.

कब लगी थी रहस्यमय आग

इस आग के बारे में कहानी शुरू होती है अस्सी के दशक की शुरूआत से. प्रचलित कहानी की मानें तो साल 1971 में सोवियत संघ के भूवैज्ञानिक काराकुम के रेगिस्तान में कच्चे तेल के भंडार की खोज कर रहे थे.यहां एक जगह पर उन्हें प्रकृतिक गैस के भंडार मिले, लेकिन खोज के दौरान वहां का ज़मीन घंस गई और वहां तीन बड़े-बड़े गड्ढे बन गए.इस गड्ढों से मीथेन के रिसने का ख़तरा था जो वायुमंडल में घुल सकता था. एक थ्योरी के अनुसार इसे रोकने के लिए भूवैज्ञानिकों ने उनमें से एक गड्ढे में आग लगा दी. उनका मानना था कि कुछ सप्ताह में मीथेन ख़त्म हो जाएगी और आग अपने आप बुझ जाएगी.लेकिन कोरोनिस कहते हैं कि इस कहानी को सच माना जा सके इसके पक्ष में उन्हें कोई दस्तावेज़ नहीं मिले.

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button