उत्तराखण्ड

दुआ-ए-खास के साथ तब्लीगी इज्तमे का समापन

रुड़की। तीन दिवसीय तब्लीगी इज्तमे का समापन सोमवार को विशेष दुआओं के साथ हुआ। अमन-शांति, देश की खुशहाली की दुआओं के साथ गढ़ी संघीपुर लंढौरा में आयोजित तब्लीगी इज्तमे में गोंडा बस्ती से आए आलिमेदीन मुफ्ती महमूद साहब ने विशेष दुआ कराई।
उन्होंने इस्लाम की शिक्षाओं और तब्लीगी जमात के उद्देश्यों पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने तब्लीगी जमात को जगत सुधार की संज्ञा देते हुए कहा कि यह एक कार्य है। मुफ्ती महमूद साहब ने कहा कि दीन के रास्ते पर चलकर ही हम दुनिया और आखिरत का भला कर सकते हैं। इस्लाम की शिक्षा हमें इंसान ही नहीं, बल्कि जानवरों के साथ भी हुस्ने सलूक (सद्व्यवहार) करने का हुक्म देती है। दीन को छोड़ने की वजह से हमारी जिंदगी में बड़ा बदलाव आया है। आज इंसान का नजरिया बदल गया है। देश-दुनिया में इज्तमे के जरिए इंसानियत और प्रेम का संदेश दिया जाता है। बड़ी संख्या में इज्तमे में पहुंचे लोगों ने सवाब हासिल कर दीन और दुनिया की भलाई के लिए अपना अजम दोहराया। दुआ के बाद इज्तमे के समापन पर चार महीने और 40 दिनों की काफी तादाद में तब्लीगी जमातें निकली। साथ ही दर्जनों निकाह भी हुए। आसपास के ग्रामीण वासियों ने इज्तमे में शिरकत करने पहुंचे लोगों की खिदमत के लिए जगह-जगह भोजन और पेयजल की व्यवस्था की।

 

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