मंदिरों को बचाने उपवास पर बैठे स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद
सुदिप्तो चटर्जी : रायपुर के बोरियाकला स्थित शंकराचार्य आश्रम व भगवती राजराजेश्वरी मंदिर के प्रमुख व छत्तीसगढ़ प्रभारी ब्रह्मचारी डॉ इंदुभवानंद जी महाराज ने बताया कि ज्योतिष एवं द्वारका शारदा पीठ के पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के शिष्य प्रतिनिधि दंडी स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जी महाराज काशी में पुराणों में वर्णित मंदिर व देव विग्रहों को प्रशासन द्वारा तोड़े जाने पर तथा गायब हुई मूर्तियों हेतु उपवास पर बैठे हैं। विदित हो विगत कई माह से वे अकेले सन्यासी हैं जो मंदिरों को बचाने के लिए कठिन तपस्या कर रहे हैं। मिली जानकारी के अनुसार पुराणों में वर्णित दुर्मुख विनायक का पूजन करने स्वामी जी 5 जुलाई को सुबह 8 बजे मंदिर पहुंचे पर मंदिर में ताला जड़ा हुआ था। प्रशासन द्वारा ताला नहीं खोलने की स्थिति में उन्होंने मंदिर के द्वार पर ही पूजन किया और भोग लगाया साथ ही वे सुमुख विनायक एवं प्रमोद विनायक का भी पूजन किये और काशी के गंगा तट पर एक कुटिया में उपवास पर बैठ गए। उनके साथ कुछ सनातन धर्मि भी उपवास में बैठे हैं। ऐसी स्थिति में तथा धर्म की रक्षा के लिए हम रायपुर शंकराचार्य आश्रम से काशी जाएंगे और मंदिरों को बचाने हेतु अपनी सहभागिता प्रदान करेंगे स्वामिश्री: के साथ छत्तीसगढ़ के कवर्धा जिले में स्थित लक्षेश्वर धाम के ब्रह्मचारी ज्योतिर्मयानंद जी महाराज भी स्वामिश्री के साथ गंगा के तट पर बैठे हैं और कठिन तपस्या में लीन है।