बिहार

काशी के प्राचीन मंदिर व देव विग्रहों को बचाने हेतु सुंदरकांड का पाठ सम्पन्न हुआ

खबरीलाल रिपोर्ट (काशी) : काशी में मंदिर बचाओ आन्दोलनम का नेतृत्त्व कर रहे ज्योतिष एवं द्वारका शारदा पीठ के पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी महाराज के शिष्य प्रतिनिधि दंडी स्वामिश्री: अविमुक्तेश्वरानंद: सरस्वती जी महाराज के स्वास्थ को ठीक रखने तथा शासन व प्रशासन को सद्बुद्धि प्रदान करने हेतु कांवरिया सेना संगठन के राज्य प्रवक्ता हरिनाथ दुबे के नेतृत्त्व में संगीतमय सुंदरकांड का पाठ किया गया जिसमें प्रमुख रूप से उन्नाव की पूर्व कांग्रेस सांसद अनु टंडन, पूर्व कांग्रेस विधायक अजय राय, जिलाध्यक्ष प्रजानाथ शर्मा, छावनी से कांग्रेस पार्षद शैलेंद्र सिंह, चुन्नू पंडित व आदि कांग्रेस के प्रतिनिधि मंडल सम्मिलित हुए ।

कांग्रेस के प्रतिनिधि मंडल ने पूज्य स्वामिश्री: के स्वास्थ की जानकारी लिए और अपना नैतिक समर्थन दिए। इस संगीतमय सुंदरकांड पाठ हेतु काशी के प्रबुद्ध जनों ने साथ मिलकर सुंदरकांड का पाठ किये तथा भगवान श्रीराम एवं बजरंगबली से स्वामिश्री: के स्वास्थ को ठीक रखने तथा शासन व प्रशासन को सद्बुद्धि प्रदान करने हेतु प्रार्थना किये गए। इसके पश्चात काशी खंडोक्त देवताओं का पूजन उद्देश्य शास्त्री, आचार्य अमित तिवारी ने किया तथा आरती पश्चात उपस्थित सैंकड़ो भक्तगणों को प्रसाद वितरित किये। इस विशेष उपलक्ष्य पर छत्तीसगढ़ के लक्षेश्वर धाम के ब्रह्मचारी ज्योतिर्मयानंद जी महाराज, आचार्य अखिलेश्वर, शंकराचार्य आश्रम रायपुर के समन्वयक व प्रवक्ता सुदीप्तो चटर्जी, काशी विश्वनाथ मंदिर के महंत बबलू महाराज, विशालाक्षी मंदिर के महंत राजनाथ तिवारी, वरिष्ठ अधिवक्ता रमेश उपाध्याय, रवि त्रिवेदी, पूनम कुंडू, शरद पांडेय, राकेश यादव, गंगा सेवा अभियानम के प्रदेश संयोजक संजय पांडे, सुनील शुक्ला व आदि भक्तगण उपस्थित हुए।

ज्ञात हो कि काशी में बाबा विश्वनाथ मंदिर परिक्षेत्र में पुराणों में वर्णित मंदिर व देव विग्रहों को तोड़े / गायब कर दिए जाने को लेकर दंडी स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती कठोर तपस्या विगत 3 महीनों से कर रहे हैं जिसमे उन्होंने सर्वदेव कोपहार प्रितिकर महायज्ञ करवाये जिससे काशीवासियों को देवताओं के कोप से बचाया जा सके तथा शासन व प्रशासन विकास के नाम पर मंन्दिरों और देव मूर्तियों का ध्वंश न करे। स्वामिश्री: ने पहले ही अपने वक्तव्य में कहा था हम न तो सरकार के विरोधी हैं और न ही विकास के, हम केवल चाहते हैं विकास के नाम पर काशी के प्राचीन मंदिरों व देव मूर्तियों को ध्वस्त न किया जाए।

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