उत्तराखण्ड

वन विभाग के पेंच में फंसा सात किमी मोटरमार्ग

राज्य गठन के बाद से शिवपुरी जाजल मोटर मार्ग का निर्माण कार्य सपना बनकर रह गया है। सात किलोमीटर मोटर मार्ग वन विभाग के पेंच में फंसकर रह गया है। सात किमी क्षेत्र में भूमि हस्तांतरण के लिए स्थानीय लोग वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के चक्कर काट रहे हैं। सड़क निर्माण न होने से गंभीर रूप से बीमार व किसी दुर्घटना में घायल को डंडी कंडी के सहारे रोड तक पहुंचाया जाता है।
नरेंद्रनगर ब्लॉक के कुजणी पट्टी, दोगी पट्टी और धमांदस्यू पट्टी के लोगों ने जाजल से शिवपुरी तक मोटरमार्ग का सपना देखा था। अविभाजित उत्तर प्रदेश सरकार के समय जाजल से हड्डीसेरा छह किलोमीटर मोटरमार्ग की कटिंग हुई। राज्य गठन के बाद 2019 में शिवपुरी से धौड़यागल्या तक 10 किलोमीटर की रोड कटिंग हुई। लेकिन लेकिन बीच में सात किमी दायरा ऐसा है जहां आरक्षित वन क्षेत्र में होने के कारण भूमि का हस्तांतरण नहीं हो पाया। जिससे यहां रोड कटिंग नहीं हो पाई है। 2014 में तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत ने भी सात किलोमीटर वन क्षेत्र में रोड कटिंग की घोषणा की। उक्त मामले में सुलझाने का आश्वासन दिया। लेकिन वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने अनापत्ति देने से हाथ खड़े कर दिए।

शिवपुरी जाजल मोटरमार्ग संघर्ष समिति के अध्यक्ष दिनेश राणा और विजेंद्र सिंह रावत ने बताया कि ब्यासी हड्डीसेरा से धौड़यागल्या तक सात किलोमीटर क्षेत्र में यातायात सुविधा न होने पर बीमार और गर्भवतियों को डंडी कंडी के सहारे रोड तक पहुंचाया जाता है। इस सात किलोमीटर के दायरे में जितने भी गांव हैं। वह राज्य गठन के बाद से सात किलोमीटर वन भूमि को हस्तांतरित करने की लड़ाई लड़ रहे हैं।

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