हादसे के बाद बेसुध पड़े थे ऋषभ पंत, मदद को लोग पहुंचे तो कहा- ‘प्लीज! मम्मी से बात करा दो।
Rishabha Pant: क्रिकेटर ऋषभ पंत के लिए हरियाणा रोडवेज की बस के चालक-परिचालक और डेयरी व्यापारी देवदूत बनकर सामने आए। तीनों ने समाज के सामने मानवता की मिसाल पेश की है। अगर ये तीनों समय से मदद के लिए नहीं आते तो ऋषभ का जीवन संकट में पड़ सकता था। हरियाणा रोडवेज के पानीपत डिपो के बस परिचालक परमजीत ने बताया कि वे लोग हरिद्वार से सुबह करीब सवा चार बजे पानीपत के लिए निकले थे। सुनसान सड़क पर इक्का-दुक्का वाहन ही चल रहे थे।
हालांकि, उस समय कोहरा नहीं था। सुबह करीब सवा पांच बजे गुरुकुल नारसन के पास दिल्ली की तरफ से आ रही एक कार डिवाइडर को पार करते हुए ठीक हमारी बस के सामने पलट गई। चालक सुशील कुमार ने बस रोक दी।
‘मैं ऋषभ पंत हूं और क्रिकेट खेलता हूं।’
कार में सवार युवक अगले शीशे से बाहर आने का प्रयास कर रहा था। उसका आधा शरीर गाड़ी के बाहर था, हम सभी ने मिलकर उन्हें बाहर निकाला। हम उन्हें नहीं जानते थे। उन्होंने हमें बताया कि ‘मैं ऋषभ पंत हूं और क्रिकेट खेलता हूं। प्लीज! मेरी मम्मी से बात करा दो। परिचालक परमजीत बताते हैं कि हम दोनों क्रिकेट नहीं देखते। इसलिए हम नहीं जानते थे कि जिस कार का एक्सीडेंट हुआ है वह भारतीय क्रिकेट टीम के खिलाड़ी ऋषभ पंत की है।
हमने केवल मानवता के नाते उनकी मां को फोन किया, लेकिन उनका फोन स्विच आफ मिला। इसके बाद मैंने पुलिस हेल्पलाइन 112 और चालक सुशील कुमार ने 108 एंबुलेंस को घटना की सूचना दी।
परमजीत ने बताया कि ऋषभ की पीठ पर काफी चोट आई थीं, इसलिए पुलिस और एंबुलेंस के आने तक ऋषभ को पेट के बल लिटाया गया। ऋषभ ने पीने के लिए पानी मांगा तो बस में बैठी एक सवारी ने उन्हें पानी दिया। तकरीबन दस मिनट में पुलिस और एंबुलेंस मौके पर पहुंच गई थी।
कार और बस में था 50 मीटर का फासला
पानीपत पहुंचने के बाद बस के चालक सुशील कुमार ने दैनिक जागरण को बताया कि कार डिवाइडर से टकराकर हाईवे के दूसरी ओर आ गई। मुझे लगा कि कार बस से टकरा सकती है। तब तक कार और बस के बीच 50 मीटर का ही फासला था। तुरंत सर्विस लेन से बस को फर्स्ट लेन में डाल दिया। तब तक कार दूसरी लेन में चली गई। कार तीन पलटे खाकर सीधी हो गई थी।