उत्तराखण्ड

खुलासा: सीबीआई इन बिंदुओं पर जांच की तो कैंट बोर्ड का सफाया

देहरादून। जन केसरी
देहरादून के कैंट बोर्ड कार्यालय में बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार हुआ है। ये बात किसी से छिपी नहीं है। सीबीआई की टीम ने दो दिन पहले ही कैंट बोर्ड कार्यालय के कार्यालय अधीक्षक शैलेंद्र शर्मा व कर विभाग के बाबू रमन अग्रवाल को 25 हजार रुपये रिश्वत लेते हुए कार्यालय से ही रंगेहाथ गिरफ्तार किया। अब इन दोनों आरोपियों को सीबीआई ने तीन दिन के लिए रिमांड पर लेकर सख्ती से पूछताछ व जांच पड़ताल शुरू कर दी है। कुछ ऐसे बिंदु भी है कि अगर सीबीआई इसकी भी जांच शुरू की तो और भी कई अधिकारी व कर्मचारी निश्चित तौर पर जेल जायेंगे।

इन बिंदुओं की भी होनी चाहिए सीबीआई जांच
– एफ-9 हेड से कर्मचारियों को हटाकर दूसरे हेड में कैसे लगाया गया।
– कुछ पेओन को टोल मोरिर बना दिया गया है जबकि टोल का इस्टैब्लिशमेंट खत्म हो चुका है।
– वेंडिंग जोन में पात्र लोगों का चयन नहीं किया गया था। हालांकि ये योजना धरातल पर नहीं है।
– टोल टैक्स का टेंडर सवा करोड का होता था नया 75 लाख में किया गया था।
– सरकार के निर्देश के अनुसार सिक्योरिटी गार्ड के लिए जेम्स से कोटेशन मांगी जानी थी। जेम्स में जो चयनित हो रहे थे उनको न लेकर प्राइवेट को ठेका मिला।
– जेई बालेश भटनागर को एई में प्रमोशन किया गया। जबकि ये पोस्ट डायरेक्ट भर्ती की है। इसके लिए जो कमेटी गठित की गई उसमें भी शैलेंद्र शर्मा, नरेंद्र व अमित चौहान को रखा गया। तीनों को इंजीनियरिंग की कोई जानकारी नहीं है। जेई से जूनियर वाले को कमेटी में शामिल किया गया।
– पूर्व के द्वारा बिल पास करने के बाद नए सीईओ ने जिन बिलों की भुगतान की वे भी शक के दायरे में है।
– पिछले कुछ सालों में कैंट अधिकारियों के सह पर केहरी गांव के प्रतिबंधित क्षेत्र में दर्जनों अवैध निर्माण हुए।
– क्षेत्र में लगे अवैध मोबाइल टॉवर वाले को दो या तीन बार नोटिस भेजने के बाद मामले को ठंडे बस्ते में क्यों डाला गया।नोट- जिन बिंदुओं का उल्लेख किया गया है ये पिछले कुछ सालों में कार्य हुए हैं। इनमें से कुछ ऐसे बिंदु है जिनमें लोगों से पैसे लिए गए हैं।

क्षेत्र का नहीं स्टॉफ की हो रही है चौमुखी विकास
कैंट क्षेत्र का विकास बिल्कुल भी नहीं हो रहा है। क्षेत्र की जनता परेशान है। सड़कों की दुर्दशा से पब्लिक को रोना आ रहा है। सफाई व्यवस्था चौपट है। बिजजी पानी की समस्या हमेशा ही बनी रहती है। इन तमाम समस्याओं के बीच अगर किसी का विकास हो रहा है तो वे कैंट के कुछ अधिकारी व कर्मचारी है। इन सभी की संपत्ति की जांच हुई तो चौक जायेंगे। क्योंकि कैंट बोर्ड में पब्लिक के काम बिना पैसे दिए नहीं होता है।

जब सबकुछ डिजिटल तो घूस ऑफ लाइन क्यों
प्रेमनगर निवासी एक सामाजिक कार्यकर्ता ने कहा कि कैंट बोर्ड में पब्लिक के ज्यादातर कार्य डिजिटल कर दिए गए हैं। ताकि पब्लिक को परेशानी ना हो। उन्हें कैंट बोर्ड कार्यालय का चक्कर नहीं काटना पड़े। ऐसे में यहां के अधिकारियों व कर्मचारियों को भी ऑनलाइन ही घूस लेनी चाहिए। ताकि पब्लिक को कम परेशानी हो। सीबीआई ने जिन दो कर्मचारियों को रिश्वत लेने के मामले में गिरफ्तार किया है अगर वे ऑफलाइन घूस नहीं लिए होते तो शायद बच सकते थे।

 

 

 

 

 

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