चूहे खा रहे मृत इंसान के अंग, पुलिस देख रही तमाशा
हल्द्वानी : मृत इंसान के आंतरिक अंग। यानी विसरा। किसी व्यक्ति की मौत के कारणों का पता लगाने के लिए इसका रासायनिक परीक्षण किया जाता है। इससे मौत की वजह स्पष्ट हो जाती है, लेकिन अगर इन्हें चूहे खा जाएं तो सोचो कि पुलिस कितनी गैरजिम्मेदार है। हल्द्वानी में यही चल रहा है। पुलिस संदिग्ध मौत के अधिकांश मामलों में विसरा को सुपुर्दगी में लेकर मोर्चरी के एक कमरे में डंप कर रही है। सालों से पड़े कई सैंपल चूहे हजम कर चुके हैं। अब मेडिकल कालेज प्रशासन ने मोर्चरी व अस्पताल में चूहे पकड़ने का काम एक संस्था के हवाले किया है।
पोस्टमार्टम के जरिए व्यक्ति की मौत की मुख्य वजह का पता लगता है। खासकर संदिग्ध परिस्थिति में मौत के मामलों में पुलिस शव को कब्जे में लेकर डाक्टरों की मौजूदगी में पोस्टमार्टम कराती है और विसरा सुरक्षित रखकर फोरेंसिक साइंस लैब रुद्रपुर भेजती है। जैसे जहर के मामले यह पता चल जाता है कि किस जहर से मौत हुई है। हल्द्वानी फोरेंसिक मेडिसन विभाग में प्रतिदिन औसतन एक से दो शवों का पोस्टमार्टम हो रहा है। पोस्टमार्टम के बाद विसरा सुरक्षित रखा जाता है, ताकि उसे फाइनल रिपोर्ट बनाने के लिए फोरेंसिक लैब में भेजा जाए। पुलिस विसरे के सैंपल को मोर्चरी से रिसीव कर अपनी सुपुर्दगी में ले लेती है। इसके बाद उसे लैब भेजने के बजाय मोर्चरी के ही एक कमरे में डंप कर दे रही है। स्थिति ये है कि सैकड़ों विसरा सड़कर मिट्टी बन चुके हैं और कई को चूहों ने कुतरकर नष्ट कर दिए हैं। पुष्ट सूत्रों की मानें तो 100 से अधिक सैंपल चूहे डिब्बों को काटकर नष्ट कर चुके हैं। चूहों के आतंक को कम करने के लिए अब एक संस्था को काम दिया गया है। संस्था ने चूहे पकड़ने के लिए अपने पिंजरे लगाए हैं। इस संस्था को लाखों रुपये दिए जा रहे हैं। इसके बाद भी चूहों का आतंक कम नहीं हो रहा है। चूहे लगातार मौत के कारणों को खत्म कर रहे हैं। पुलिस सबकुछ जानने के बाद भी अनजान बनी है।
विसरे को जांच के लिए तय समय पर भेजा जाना चाहिए। अगर विसरा जांच के लिए नहीं भेजा जा रहा है तो गलत है। इस मामले की जानकारी जुटाई जाएगी।
– प्रह्लाद नारायण मीणा, एसएसपी