बढ़ता प्रदूषण पहुंचा रहा है किडनी को नुकसान

तेजी से फैलने वाले कुछ पर्यावरणीय प्रदूषक आपके गुर्दों के स्वास्थ्य पर नुकसानदेह असर डाल सकते हैं। एक नए अध्ययन में ऐसा चेताया गया है। अमरीका की ड्यूक यूनिवर्सिटी के अनुसंधानकर्ताओं ने बताया कि ‘पर एंड पॉलीफ्लोरोअल्काइल सबस्टांसेस’ (पी.एफ. ए.एस.) औद्योगिक प्रक्रियाओं और उपभोक्ता उत्पादों में इस्तेमाल होने वाले नॉन-बायोडिग्रेडेबल (स्वाभाविक तरीके से नहीं सडऩे वाले) पदार्थों का एक बड़ा समूह है और ये पर्यावरण में हर जगह मौजूद हैं। उन्होंने कहा कि मनुष्य दूषित मिट्टी, पानी, खाने और हवा के जरिए पी.एफ.ए.एस. के संपर्क में आता है। पी.एफ.ए.एस. के संपर्क से गुर्दों पर पडऩे वाले प्रभावों की जांच के लिए अनुसंधानकर्ताओं ने अन्य प्रासंगिक अध्ययनों को खंगाला।
ड्यूक यूनिवर्सिटी के जॉन स्टेनिफर ने कहा, ‘गुर्दे बेहद संवेदनशील अंग हैं खास कर बात जब पर्यावरणीय विषैले तत्वों की हो जो हमारे खून के प्रवाह में प्रवेश कर जाते हैं।’ उन्होंने कहा, ‘क्योंकि अब बहुत से लोग पी.एफ.ए.एस. रसायनों और उनके विकल्प के तौर पर तैयार हो रहे जेनएक्स जैसे बड़े पैमाने पर बनाए जा रहे नए एजैंटों के संपर्क में आ रहे हैं। यह समझना बहुत जरूरी हो गया है कि क्या और कैसे ये रसायन गुर्दे की बीमारी के लिए जिम्मेदार हो सकते हैं।’ अनुसंधानकर्ताओं ने 74 अध्ययनों को देखा जिसमें पी.एफ.ए.एस. के संपर्क से जुड़े कई प्रतिकूल प्रभावों के बारे में बताया गया है।
इन प्रभावों में गुर्दों का सही ढंग से काम न करना, गुर्दे के पास की नलियों में गड़बड़ी और गुर्दे की बीमारी से जुड़े चयापचय मार्गों का बिगड़ जाना शामिल है। यह अध्ययन ‘क्लिनिकल जर्नल ऑफ द अमेरिकन सोसायटी ऑफ नेफ्रोलॉजी’ (सी.जे.ए.एस.एन.) में प्रकाशित हुआ है।