बिहार

फिल्मों में शिक्षक के किरदार को लोगों ने सराहा

मुंबईः हिंदी फिल्म जगत में अभिनेताओं को शिक्षक के किरदार को हमेशा से दर्शकों का भरपूर प्यार और सम्मान मिलता रहा है क्योंकि शिक्षक के बिना राष्ट्र के विकास की परिकल्पना नहीं की जा सकती। वर्ष 1954 में प्रदर्शित फिल्म जागृति से लेकर हाल में वर्ष हाल के वर्ष में प्रदर्शित फिल्म “आरक्षण” तक में शिक्षक के दमदार किरदार को रूपहले पर्दे पर पेश किया गया है। व्यक्ति के जीवन में माता पिता के बाद यदि सर्वाधिक प्रभाव किसी अन्य का होता है तो वह निश्चित रूप से शिक्षक ही है जो माता पिता की तरह निस्वार्थ भाव से अपने छात्रों को जीवन की कठिनाइयों से लडऩे की राह दिखाता है।

वर्ष 1954 में प्रदर्शित फिल्म “जागृति” संभवत: पहली फिल्म थी। जिसमें शिक्षक और छात्र के रिश्तों को खूबसूरती के साथ रूपहले परदे पर दिखाया गया था। फिल्म में अभि भटृाचार्य ने शिक्षक की भूमिका निभाई थी।इस फिल्म में संगीतकार हेमंत कुमार के संगीत निर्देशन में कवि प्रदीप का रचित और उनका ही गाया गीत “आओ बच्चों तुम्हें दिखाए झांकी हिंदुस्तान की” बेहद लोकप्रिय हुआ था। वर्ष 1955 में राजकपूर के बैनर तले बनी “श्री 420” हालांकि प्रेम कथा पर आधारित फिल्म थी लेकिन इसमें अभिनेत्री नरगिस ने ऐसी आदर्श शिक्षिका की भूमिका निभाई थी जो बच्चों को सच्चाई का पाठ पढ़ाती है।

इस फिल्म में उनपर फिल्माया यह गीत “इचक दाना बिचक दाना” श्रोताओं मे आज भी लोकप्रिय है। वर्ष 1968 में प्रदर्शित फिल्म “पड़ोसन” में हास्य अभिनेता महमूद संगीत शिक्षक की भूमिका में दिखाई दिए थे जो अभिनेत्री सायरा बानो को संगीत सिखाते हैं। वर्ष 1972 में प्रदर्शित फिल्म “परिचय” में भी शिक्षक और छात्रों के बीच के संबध को बेहद खूबसूरती के साथ दिखाया गया। फिल्म में जितेन्द्र ऐसे शिक्षक की भूमिका में थे जो एक घर में बच्चों को पढ़ाने के लिए नियुक्त किये जाते है लेकिन बच्चें अपनी शैतानी से उन्हें अक्सर परेशान करते है जितेन्द्र हिम्मत नहीं हारते और वह अंतत: सभी बच्चों को सही राह पर ले आते है।

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