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भारत अपने सबसे बड़े व्यापारिक साझेदार चीन के साथ अपना व्यापारिक घाटा कम कर सकता है।

चीन से व्यापार समेट रही कंपनियों को इंसेंटिव देकर लुभा सकता है भारतरिपोर्ट के अनुसार भारत us-china trade war के चलते चीन से अपना व्यापार खत्म कर रही कंपनियों को आकर्षित करने के लिए incentive की पेशकश कर रहा है।

नई दिल्ली । चीन में निर्यात बढ़ाने और मेक इन इंडिया के तहत चीनी कंपनियों को अपने देश में उद्योग के लिए आकर्षित करने का यह सबसे मुफीद समय है। यह वह समय है जब भारत अपने सबसे बड़े व्यापारिक साझेदार चीन के साथ अपना व्यापारिक घाटा कम कर सकता है। वह इसलिए, क्योंकि अमेरिका और चीन के बीच ट्रेड वार के चलते जो स्पेस पैदा हुआ है उसे भरने का सबसे बड़ा मौका भारत के पास ही है। ऐसे में अब भारत ने कंपनियों को लुभाने के प्रयास भी शुरू कर दिये हैं। भारत चीन से अपना व्यापार समेट रही कंपनियों को देश में अपना उद्योग डालने के लिए इंसेटिव देने की पहल करता भी दिख रहा है।

इंसेटिव के लिए उद्योगों को किया चिन्हित

न्यूज एजेंसी ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत अमेरिका-चीन ट्रेड वार के चलते चीन से अपना व्यापार खत्‍म कर रही कंपनियों को आकर्षित करने के लिए इंसेंटिव की पेशकश कर रहा है। डेवलपमेंट सेक्टर से जुड़े एक अधिकारी ने एजेंसी को बताया कि वियतनाम द्वारा कंपनियों को लुभाने के लिए प्रदान की जाने वाली तरजीही कर दरों और टैक्स हॉलिडे जैसे उपायों पर विचार किया जा रहा है। रिपोर्ट्स के अनुसार, जिन उद्योगों को इंसेटिव के लिए चिन्हित किया गया है उनमें इलेक्ट्रॉनिक्स, उपभोक्ता उपकरण, इलेक्ट्रिक वाहन, जूते और खिलौने शामिल हैं।

आयात पर निर्भरता कम करना लक्ष्य

वियतनाम और मलेशिया जैसी अर्थव्यवस्थाओं को टैरिफ को साइडस्टेप करने वाले व्यवसायों से काफी फायदा हुआ है, जबकि भारत बड़े पैमाने पर निवेश लाभ से चूका है। अब वित्त मंत्रालय की यह योजना निर्यात को बढ़ावा देने की दिशा में एक बड़ा कदम होगी ताकी आयात पर निर्भरता भी कम की जा सके।

विनिर्माण आधार को बढ़ाएगी यह योजना

यह योजना भारत के विनिर्माण आधार (manufacturing base) को बढ़ाने में तो मदद करेगी ही साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी ‘मेक इन इंडिया’ योजना को भी आगे ले जाएगी जिसका उद्देश्य साल 2020 तक अर्थव्यवस्था के 25 फीसद तक विनिर्माण को बढ़ाना है।

निर्यात के लिए 150 वस्तुओं को किया चिह्नित

साथ ही इस योजना का बड़ा उद्देश्य चीन-अमेरिका ट्रेड वार के कारण खाली हुए क्षेत्रों में निर्यात को बढ़ाना भी है। सरकार ने ऐसी 150 से अधिक वस्तुओं को चिह्नित किया है जिनमें निर्यातक चीन के साथ व्यापार बढ़ा सकते हैं। इन वस्तुओं में पैक्ड आलू, पॉलीयेस्टर्स के सिंथेटिक स्टेपल फाइबर, टी-शर्ट, हाइड्रोलिक पावर इंजन और मोटर्स के सूपरचार्जर शामिल हैं।

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