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मदरसे में बच्चों के साथ उत्पीड़न, दिखाई जाती थी गंदी फिल्में

हल्द्वानी। नैनीताल के वीरभट्टी में बिना पंजीकरण के चल रहे मदरसे में उत्पीड़न के शिकार 24 बच्चों को मंगलवार को आजादी मिल गई। बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) व किशोर न्यायालय में पेशी के बाद बच्चे स्वजन के सुपुर्द कर दिए गए। माता-पिता को देखते ही कई बच्चे भावुक हो गए।

आठ अक्टूबर को डीएम वंदना के निर्देश पर पुलिस व प्रशासन की टीम ने संयुक्त रूप से वीरभट्टी के पास अंजुमन इकरा नाम से संचालित मदरसे में छापामारी की। जांच में सामने आया कि वर्ष 2010 से संचालित मदरसे को मदरसा बोर्ड से मान्यता नहीं मिली है। 24 बच्चों को यहां शिक्षा दी जा रही थी। बच्चों की सेहत खराब थी। उनके शरीर पर फोड़े फुंसी हो रहे थे। उन्हें रात में गंदी फिल्म दिखाई जाती थी। आशंका जताई जा रही है कि उन्हें किसी खास मकसद के लिए तैयार किया जा रहा था। इसके बाद अगले दिन प्रशासन ने मदरसे में रह रहे 24 बच्चों को हल्द्वानी के बनभूलपुरा स्थित मदरसे में भिजवा दिया। सोमवार को बच्चों के बयान दर्ज कराए गए और उन्हें स्वजन से मिलने नहीं दिया गया। मंगलवार को इन सभी बच्चों के स्वजनों को हल्द्वानी स्थित जिला प्रोबेशन कार्यालय बुलाया गया। जहां उनकी काउंसलिंग की गई और बच्चों के जरूरी दस्तावेज जमा कराए गए।

इसके बाद सीडब्ल्यूसी अधिकारी और पुलिस की मौजूदगी में बच्चे स्वजनों को सौंपे गए। सिटी मजिस्ट्रेट ऋचा सिंह ने बताया कि सभी बच्चों को उनके स्वजन के सुपुर्द कर दिया गया है। मदरसे की जांच में पता चला कि इसमें 37 बच्चों का पंजीकरण था। शेष बच्चे कहां हैं, इसकी जानकारी नहीं मिली। यह मदरसा अल्पसंख्यक कल्याण विभाग, शिक्षा विभाग या किसी भी सरकारी विभाग में पंजीकृत नहीं था। पुलिस अब यह जांच कर रही है कि 2010 से संचालित मदरसे के लिए फंडिंग कहां से हो रही है। इसके तार कहां जुड़े हो सकते हैं।

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