उत्तराखण्डराजनीति

हरक सिंह रावत को दल से लेकर सीट बदलने तक में हासिल है महारथ, बड़ा रोचक है उनका राजनीतिक सफर

देहरादून। Uttarakhand Vidhan Sabha Chunav 2022 भाजपा और प्रदेश मंत्रिमंडल से बर्खास्त किए गए डा. हरक सिंह रावत को दल बदलने में महारथ हासिल है। अपने राजनीतिक जीवन में अब वह पांचवीं बार किसी दूसरे दल का दामन थामेंगे। हरक के राजनीतिक सफर पर नजर डालें तो यह खासी रोचकता लिए हुए है।

श्रीनगर गढ़वाल विश्वविद्यालय की छात्र राजनीति से अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत करने वाले हरक ने भाजपा व उसके आनुषांगिक संगठनों में कार्य किया। वर्ष 1984 में पहली बार वह भाजपा के टिकट पर पौड़ी सीट से चुनाव लड़े, लेकिन सफलता नहीं मिल पाई। इसके बाद वर्ष 1991 में उन्होंने पौड़ी सीट पर जीत दर्ज की और तब उत्तर प्रदेश की तत्कालीन भाजपा सरकार में उन्हें पर्यटन राज्यमंत्री बनाया गया। उस समय वे सबसे कम आयु के मंत्रियों में शामिल थे।

हरक को वर्ष 1993 में भाजपा ने एक बार फिर पौड़ी सीट से अवसर दिया और वे फिर से जीत दर्ज कर विधानसभा में पहुंचे। वर्ष 1998 में टिकट न मिलने से नाराज हुए हरक ने भाजपा का साथ छोड़ते हुए बसपा की सदस्यता ग्रहण की। तब उन्होंने रुद्रप्रयाग जिले के गठन समेत अन्य कार्यों से छाप छोड़ी, लेकिन बाद में वह कांग्रेस में शामिल हो गए।

सीट बदलने को भी जाने जाते हैं हरक

उत्तराखंड बनने के बाद वर्ष 2002 में हुए राज्य विधानसभा के पहले चुनाव में वह कांग्रेस के टिकट पर लैंसडौन सीट से जीत दर्ज करने में सफल रहे। तब नारायण दत्त तिवारी सरकार में उन्हें मंत्री पद मिला, लेकिन बहुचर्चित जैनी प्रकरण के बाद उन्हें इस्तीफा देना पड़ा था। वर्ष 2007 में उन्होंने एक बार फिर लैंसडौन सीट से जीत दर्ज की। साथ ही उन्हें नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी मिली।

 वर्ष 2012 के चुनाव में हरक ने सीट बदलते हुए रुद्रप्रयाग से चुनाव लड़ा और विधानसभा में पहुंचे। वर्ष 2016 के राजनीतिक घटनाक्रम के बाद हरक सिंह कांग्रेस के नौ अन्य विधायकों के साथ भाजपा में शामिल हो गए थे। वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने उन्हें कोटद्वार सीट से मौका दिया और वह विधानसभा में पहुंचे। वर्ष 2016 में दिए गए सहयोग के मद्देनजर पार्टी ने उन्हें कैबिनेट मंत्री बनाया था।

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