क्राइम

उत्तराखंड में पहली बार मानव तस्करी में दो आरोपियों के खिलाफ कोर्ट ने सुनाई कठोर सजा

देहरादून। जन केसरी
मानव तस्करी के मामले में शुक्रवार को रमा पांडेय की पोक्सो कोर्ट ने दो आरोपियों को दोषी करार देते हुए दस-दस साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई है। कोर्ट ने दोषियों पर 1.45-1.45 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है। जुर्माने की राशि नहीं देने पर दोषियों को छह-छह माह कि अतिरिक्त सजा भुगतनी पड़ेगी।
शासकीय अधिवक्ता भरत सिंह नेगी ने बताया कि वर्ष 2015 में 24 जून को एक नाबालिग चौदह वर्षीय पीड़िता ने तहसील चकराता में मानव तस्करी का मुकदमा दर्ज करवाया। पीड़िता ने पुलिस को बताया कि रिपोर्ट दर्ज कराने से तीन साल पहले उसकी मां पुष्पा एवं मामाओं ने उसे सुभाष (45) पुत्र तिलक राम निवासी खेड़ी छाछडी थाना सूरजपुर गौतमबुद्ध नगर नाम के व्यक्ति से दो लाख रुपये में बेच दिया। जहां सुभाष ने जबरदस्ती शारीरिक संबंध बनाने के बाद उसे वेश्यावृती में डालने की कोशिश की। पीड़िता जैसे-तैसे सुभाष के चंगुल से छूटकर सीधे अपने घर पहुंची और परिजनों को पूरी घटना के बारे में बताया। लेकिन परिजनों ने पीड़िता की कोई मदद नहीं की। पीड़िता का आरोप है कि इस घटना के कुछ माह बाद फिर से मां और मामाओं ने उसे दोबारा से दीवान सिंह पुत्र रतीराम निवासी बरार तहसील कालसी नाम के व्यक्ति को पचास हजार रुपये में बेच दिया। जिसके बाद दीवान सिंह ने नाबालिग के साथ शारीरिक संबंध बनाया। नाबालिग को एक बच्चा भी हुआ। पांच छह माह बाद पीड़िता आरोपी के यहां से फरार होकर घर आ गई। इस बीच सुभाष फिर से पीड़िता के घर पहुंचा और उसकी मां से कहने लगा कि उसने उसे दो लाख रुपये में खरीदा है। इसलिए उसे उसके साथ भेजो। पीड़िता के अनुसार मां ने उसे फिर से सुभाष के साथ भेज दिया। तंग आकर पीड़िता ने थाने में करीब नौ लोगों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई। जिसमें से पीड़िता की मां पुष्पा और एक मामा की मौत हो गई। शेष पांच आरोपियों को कोर्ट ने साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया। जबकि दो आरोपियों सुभाष और दीवान
को कोर्ट ने दोषी करार देते हुए सजा सुनाई।

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